वो स्थान जो है 52 शक्तिपीठों का उद्गम स्थान. जहां की भूमि में विराजते हैं महादेव साक्षात. जो भी भक्त इस दरबार में आता है वो महादेव की कृपा लेके जाता है. देवभूमि हरिद्वार से महज़ 4 किमी की दूरी पर विराजते हैं दक्षेश्वर महादेव.
नई दिल्ली. वो स्थान जो है 52 शक्तिपीठों का उद्गम स्थान. जहां की भूमि में विराजते हैं महादेव साक्षात. जो भी भक्त इस दरबार में आता है वो महादेव की कृपा लेके जाता है. देवभूमि हरिद्वार से महज़ 4 किमी की दूरी पर विराजते हैं दक्षेश्वर महादेव.
माना जाता है कि शिव सावन के पूरे महीने अपने ससुराल कनखल में ही निवास करते हैं और यही से सृष्टि का संचालन और लोगों का कल्याण करते हैं. शिव के ससुराल कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती हैं.
सावन के महीने में शिव की अराधना का खास महत्व माना जाता है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को बहुत पंसद होता है. कहा जाता है कि भगवान शिव सावन महीने में सोमवार के दिन जलाभिषेक करने से भक्तों से जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं, ये भी माना जाता है कि समुद्र मंथन के बाद जब चंद्रमा राहू से बचकर भाग रहे थे तो उन्हें शिव ने ही उसकी रक्षा की थी और तभी से शिव ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया था.
चंद्रमा ने अपना प्रिय सोमवार शिव को अर्पित कर दिया था और कहा था कि जो भी सोमवार के दिन शिव का जलाभिषेक करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. इसके अलावा कहा जाता है कि गंगा देवलोक से पृथ्वी पर सावन के महीने में ही शिव की जटाओं में आई थी, इसलिए सावन महीने में शिव के जलाभिषेक विशेष महत्व बताया जाता है, लेकिन केवल सावन में ही नहीं बल्कि पूरे साल दक्षेश्वर महादेव के दर्शन के लिए इस मंदिर में भीड़ लगी रहती है.
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