नई दिल्ली. रावण के दस शीश छ: शास्त्रो और चार वेदों के प्रतिक थे इसलिए रावण को प्रकांड पंडित की उपाधि दी थी. शिवजी जानते थे कि रावण एक राक्षस है और अपने सवार्थ के लिए ही तप कर रहा है, लेकिन रावण की भक्तिपूर्ण तपस्या से वह इतने खुश थे कि
उसने रावण ने लक्ष्मण को तीसरी और अंतिम बात ये बताई कि अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना चाहिए अध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा इंडिया न्यूज के शो भारत पर्व में
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