नई दिल्ली. ध्यान व अराधना करते समय हाथों की मुद्राएं बहुत महत्वपूर्ण होती हैं. भगवान बुध्द हो या गुरुनानक, स्वामी विवेकानंद हो या महावीर हर कोई अराधना व ध्यान करते समय हाथों को अलग ही मुद्रा में रखते थे.
हाथों की मुद्राएं केवल अराधना व ध्यान के समय ही महत्व नहीं रखती बल्की प्राचीन भारत में यह एक चिकित्सा पद्धति के रूप में इस्तेमाल की जाती थी. हाथों की मुद्राओं के महत्व व प्रभाव के बारे में आपको बताएंगे अध्यात्मिक गुरू पवन सिन्हा इंडिया न्यूज़ के खास कार्यक्रम भारत पर्व में.