नई दिल्ली. इंडिया न्यूज़ के विशेष शो बेटियां में आज हम आपको देश की ऐसी तीन बेटियों से मिलाने वाले हैं जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और कार्यकुशलता के दम पर अपना और अपने परिवार का नाम रौशन किया है. आज के इस एपिसोड में हम मिलने वाले हैं यूपी के इटावा में पोस्टेड SSP मंजिल सैनी, लखनऊ की रहने वालीं और देश की दूसरी मुस्लिम महिला IPS अंजुम आरा और 260 से ज्यादा बेसहारा बच्चियों को पाल रहीं संदीप कौर से. इन तीनों ने ही समाज के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जो भारतीय समाज में महिला की एक रटी-रटाई इमेज को चैलेंज करता है.
नई दिल्ली. इंडिया न्यूज़ के विशेष शो बेटियां में आज हम आपको देश की ऐसी तीन बेटियों से मिलाने वाले हैं जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और कार्यकुशलता के दम पर अपना और अपने परिवार का नाम रौशन किया है. आज के इस एपिसोड में हम मिलने वाले हैं यूपी के इटावा में पोस्टेड SSP मंजिल सैनी, लखनऊ की रहने वालीं और देश की दूसरी मुस्लिम महिला IPS अंजुम आरा और 260 से ज्यादा बेसहारा बच्चियों को पाल रहीं संदीप कौर से. इन तीनों ने ही समाज के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जो भारतीय समाज में महिला की एक रटी-रटाई इमेज को चैलेंज करता है.
मंजिल सैनी
उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ सरकार के मुखिया मुलायम सिंह यादव के गढ़ इटावा में पोस्टेड हैं एसएसपी मंजिल सैनी. मंजिल के तीखे तेवर इन दिनों इटावा के दबंगों पर भारी पड़ रहे हैं. वह पुलिस बल के साथ खुद सड़क पर निकलती हैं और चीजें सही करने की कोशिश करती हैं. मंजिल खुद गाड़ियों को रुकवा कर उनके शीशों पर लगी काली रील निकलवाती हैं और अगर गाड़ी पर किसी पार्टी या नेता का झंडा लगा हुआ है, तो उसे भी निकलवा देती हैं.
सुपर कॉप मंजिल कहती हैं, ‘आजकल चेन स्नेचिंग और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं शाम के समय ज्यादा होती हैं, जब लड़के बाइक लेकर निकलते हैं. ऐसे में मैंने रोजाना शहर के महत्वपूर्ण चौराहों पर शाम 5 से 7 तक चेकिंग करने और पुलिस तैनात करने के लिए कहा है.’ 2005 बैच आईपीएस ऑफिसर मंजिल का यह रवैया नया नहीं है. इससे पहले भी वो जहां-जहां रहीं, उनके तेवर ऐसे ही रहे. इससे पहले उन्होंने 2008 में एक किडनी रैकेट का भंडाफोड़ किया था. गोल्ड मेडलिस्ट रहीं मंजिल का इससे पहले कई जगहों से ट्रांसफर हो चुका है और अब वह इटावा में बदमाशों को पुलिस की ताकत से रू-ब-रू करवा रही हैं.
अंजुम आरा
मन में कुछ कर दिखाने का जब्जा हो तो इंसान दूसरों के लिए मिसाल कायम कर सकता है. यह कहना है देश की दूसरी मुस्लिम आईपीएस महिला अंजुम आरा का. अंजुम ने पढ़ाई पूरी करने के बाद आईपीएस बनने की इच्छा अपने पिता को बताई तो उन्होंने बेटी अंजुम की हौसला अफजाई की और उसे वह सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जो उसका सपना साकार कर सकें.
बात यहीं खत्म नहीं होती अंजुम जहां आईपीएस की तैयारी कर रही थीं तो उधर उनके परिवार के बाकी सदस्य इससे खुश नहीं थे. रिश्तेदारों को तो उसका घर से निकलना तक गंवारा नहीं था. अंजुम कहती हैं कि उनके परिवार में आज भी पर्दाप्रथा (बुर्का) जारी है. कड़ी मेहनत और लगन से 2011 में उनका चयन आईपीएस के लिए हो गया. आज अंजुम शिमला में एएसपी की पोस्ट पर तैनात हैं. वह अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देती हैं. इससे पहले मुंबई की सारा रिज्वी ने पहली मुस्लिम महिला आईपीएस बनने का गौरव हासिल किया था.
संदीप कौर
आज चाहें जमाना कितना भी आगे क्यो न चला गया है लेकिन आज भी कई लोग लड़कियों के पैदा होने पर उतनी खुशी व्यक्त नहीं करते. कई घरों में देखने को मिलता है कि जिसकी पहले दो बेटियां हो और तीसरे गर्भ में वो लोग बेटे की ही चाह रखते है. ऐसे ही एक परिवार में तीसरे गर्भ के दौरान एक बेटी जन्म लेने वाली थी लेकिन उसके परिवार वाले उसके पैदा होने से पहले ही उसे मारने की योजना बना रहे थे और इस बात का पता जैसे ही संदीप कौर को लगा तो उसने उन्हें ऐसा करने से रोका और बच्ची को बचा लिया.
वहीं बच्ची आज पौने दो साल की हो गई है और उसका नाम है अगमजोत , ऐसी ही कई बच्चियों जिन्हें कोख में ही मारने का फैसला कर चुके उनके घर वालों से मिल कर संदीप कौर उनका पालन पोषण करती हैं. संदीप कौर ने भ्रूण हत्या के खिलाफ आवाज उठाकर ऐसी 260 बच्चियों को अपनाया है जिसमें बेसहारा बच्चियां भी शामिल हैं. संदीप कौर का कहना हैं कि इस अभियान के अंतर्गत लोगों को काफी समझाने की जरुरत पड़ती हैं. कई लोगों के मन में मोह पैदा होने के कारण वो अपनी बच्ची को अपना लेते है और कई एेसे हैं जो बच्ची के ट्रस्ट में आ जाने के बाद वापिस ले जाते हैं.
एजेंसी इनपुट भी