नई दिल्ली: यूपी में योगी सरकार 15 जून तक सभी सड़कों के गड्ढे भरने का अपना वादा पूरा नहीं कर पाई. कानून-व्यवस्था पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं. देश की राजनीति में सत्ता का रास्ता यूपी से निकलता है. सबसे ज्यादा आबादी, सबसे ज्यादा लोकसभा और विधानसभा की सीटें यूपी में हैं.
विकास की सबसे ज्यादा संभावनाएं भी इसी राज्य में हैं और सबसे ज्यादा सवाल भी यूपी के हाल पर ही उठता रहा है. इसलिए जब तीन महीने पहले यूपी में योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभाली, तो सबको उम्मीद थी कि सरकार बदली है, इसलिए हालात भी बदलेंगे.
हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 मार्च को एलान किया था कि 15 जून तक प्रदेश की सभी सड़कों के गड्ढे भर दिए जाएंगे. डेडलाइन आज खत्म हो गई, लेकिन लखनऊ से लेकर गोरखपुर तक वीवीआईपी जिलों में ही सड़कों पर गड्ढे जस के तस हैं. गड्ढों के लिए बदनाम सड़कों की बदहाली कायम है.
खुद प्रदेश के डिप्टी सीएम कबूल कर रहे हैं कि सिर्फ 63 फीसदी ही काम हो पाया है. जो काम हुआ है, वो या तो पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर हुआ है या फिर उन सड़कों के गड्ढे भरे गए हैं, जो केंद्र सरकार के अधीन हैं.
सड़कों के बाद योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था सुधारने और पुलिस की छवि बदलने का बीड़ा उठाया था. थानों और पुलिस मुख्यालयों में बड़े-बड़े अफसर तक झाड़ू लगाते दिख रहे थे, लेकिन अब सब पहले जैसा ही है. आगरा में पुलिस वालों ने दो युवकों को बुरी तरह पीटा. शाहगंज खेरिया मोड़ पुलिस चौकी में पुलिस वालों के जुल्म का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
योगी सरकार को सत्ता में आए अभी सौ दिन भी पूरे नहीं हुए हैं, लेकिन विकास और सुशासन के उनके वादों पर सवाल उठने शुरू हो चुके हैं. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार सिर्फ बातें कर रही है और यूपी सरकार सफाई दे रही है कि बदलाव शुरू हो गया है, नतीजे आने में कुछ वक्त लगेगा.
आखिर यूपी में सरकार बदलने के बाद भी हालात क्यों नहीं बदल रहे ? योगी सरकार के लिए भी यूपी के गड्ढे भरना इतना मुश्किल क्यों है, आज इन्हीं सवालों पर होगी महाबहस.
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