नई दिल्ली: जहां एक तरफ इलेक्ट्रिक कारें तेजी से ग्राहकों(Tesla EV) के बीच अपनी जगह बना रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इनमें आग लगने की घटनाएं भी देखने को मिल रहीं हैं। जानकारी दे दें कि ईवी की सेफ्टी को लेकर चल रही चर्चा को यह हवा देने का काम करती हैं। वैसे तो […]
नई दिल्ली: जहां एक तरफ इलेक्ट्रिक कारें तेजी से ग्राहकों(Tesla EV) के बीच अपनी जगह बना रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इनमें आग लगने की घटनाएं भी देखने को मिल रहीं हैं। जानकारी दे दें कि ईवी की सेफ्टी को लेकर चल रही चर्चा को यह हवा देने का काम करती हैं। वैसे तो मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां सेफ्टी को लेकर लगातार काम कर रही हैं।
बता दें कि हाल ही में पूरी दुनियां में क्रिसमस को सेलिब्रेट किया गया और उसी रात अलबामा नेशनल हाईवे पर एक टेस्ला वाई इलेक्ट्रिक कार में आग लगने की घटना सामने आई। जिस पर कुछ घंटों में काबू पा लिया गया। इस आग को बुझाने में 1,36,000 लीटर पानी लगा।
जानकारी के मुताबिक ICE इंजन के मुकाबले इलेक्ट्रिक कारों में लगी आग को बुझाना काफी मुश्किल भरा होता है। ICE कारों में लगी आग को केवल पानी के जरिये(Tesla EV) काबू में लाया जा सकता है। क्योंकि बैटरियों में मौजूद थर्मल रनवे नमक एलिमेंट आग को भड़काने का काम करता है। जो बाकी बैटरी की शेल को इतना ज्यादा गर्म कर देता है कि एक बार आग बुझने के बाद भी इसमें फिर से आग लग सकती है।
गौरतलब है कि लिथियम आयन बैटरियों के उलट इनमें मौजूद इलेक्ट्रोलाइट को सॉलिड स्टेट बैटरियों में ठोस में बदल दिया जाता है। जो इनमें आग लगने की संभावना को कई गुना कम कर देती है। लेकिन ऐसी कंपनियों की संख्या कम है, जो इस पर काम करती हैं। लेकिन सॉलिड स्टेट बैटरियों में सुरक्षा को लेकर काम करने वालों में टोयोटा का नाम सबसे ऊपर है।
सॉलिड स्टेट बैटरियों में ज्यादा चार्जिंग रखने की क्षमता भी होती है और मौजूद इलेक्ट्रोलाइट न केवल लइकिड फॉर्म के मुकाबले सुरक्षित भी होता है। जिससे रेंज में बढ़ोतरी की जा सकती है। साथ ही ये जगह भी कम लेते हैं।
दकअसल, इसकी अपनी कुछ खामियां भी हैं। जैसे की इलेक्ट्रोलाइट को बनाना और डिजाइन करना काफी मुश्किल भरा और महंगा होता है। लेकिन भविष्य में इसके समाधान की उम्मीद की जा रही है।