नई दिल्ली: भारत में ओटीपी फ्रॉड पीड़ितों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. लोग हर दिन ठगे जाते हैं. हालांकि ओटीपी फ्रॉड को रोकने के लिए सरकार कई कोशिशें करती है, लेकिन इस पर लगाम नहीं लग पाती है. आईआईटी मंडी ने इस समस्या का समाधान ढूंढ लिया है. आईआईटी मंडी ने एक ऑथेंटिकेशन […]
नई दिल्ली: भारत में ओटीपी फ्रॉड पीड़ितों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. लोग हर दिन ठगे जाते हैं. हालांकि ओटीपी फ्रॉड को रोकने के लिए सरकार कई कोशिशें करती है, लेकिन इस पर लगाम नहीं लग पाती है. आईआईटी मंडी ने इस समस्या का समाधान ढूंढ लिया है. आईआईटी मंडी ने एक ऑथेंटिकेशन सिस्टम तैयार की है जो ओटीपी धोखाधड़ी को रोक सकती है. इस प्रणाली को adapID कहा जाता था.
adapID को आईआईटी मंडी द्वारा डीप एल्गोरिदम, सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR) के सहयोग से विकसित किया गया है. बता दें कि adapID एक गहन एल्गोरिदम का उपयोग करता है. डीप एल्गोरिदम आईआईटी मंडी और आईआईटी कानपुर द्वारा स्थापित एक कंपनी है और इसका मुख्यालय हैदराबाद में है, आईआईटी मंडी में एक अनुसंधान एवं विकास कार्यालय और अमेरिका में एक भागीदार कार्यालय है.
बता दें कि इस सिस्टम को पहले ही पेटेंट प्रदान किया जा चुका है और इसे एक बैंक और एक फोरेंसिक कंपनी में इंस्टॉल भी किया गया है. adapID का सरकारी योजनाओं में प्रमाणीकरण के लिए इसका उपयोग करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ बातचीत कर रही है. adapID एआई से लैस एक प्रमाणीकरण सिस्टम है जो कि यूजर के व्यवहारिक और बायोमेट्रिक्स डाटा को मैच करता है. इसमें किसी पासवर्ड की जरूरत नहीं है. इसमें अदृश्य कीबोर्ड होता है जो कि सिर्फ यूजर को ही नजर आता है. इसमें एक विकेन्द्रीकृत वेब प्रोटोकॉल भी होता है, इसके साथ अभी तक ये साफ नहीं है कि ओटीपी के विकल्प के तौर पर adapID कैसे काम करेगा.
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