नई दिल्ली: सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के द्वारा हाल ही में जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार, कई विदेशी बाजारों में मोनेटरी और जियोपॉलिटिकल संकट की वजह से पिछले साल भारत से हुए ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट में 21% की कमी दर्ज की गयी। अगर आंकड़ों की बात करें तो, पिछले साल करीब एक्सपोर्ट 42,85,809 यूनिट्स […]
नई दिल्ली: सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के द्वारा हाल ही में जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार, कई विदेशी बाजारों में मोनेटरी और जियोपॉलिटिकल संकट की वजह से पिछले साल भारत से हुए ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट में 21% की कमी दर्ज की गयी।
अगर आंकड़ों की बात करें तो, पिछले साल करीब एक्सपोर्ट 42,85,809 यूनिट्स का रहा, जो 2022 में हुए 52,04,966 यूनिट्स के एक्सपोर्ट के मुकाबले कम है। लेकिन ओवरऑल गिरावट के बावजूद, पैसेंजर व्हीकल एक्सपोर्ट में 5% की वृद्धि देखने को मिली और ये आंकड़ा 6,77,956 यूनिट्स पर पहुंच गया।
बता दें कि कमर्शियल, टू व्हीलर और थ्री व्हीलर वाहनों के एक्सपोर्ट में भी कमी देखने को मिली। आंकड़ों के मुताबिक, दोपहिया वाहनों का एक्सपोर्ट 20% घटकर 32,43,673 यूनिट्स रह गया। और कमर्शियल व्हीकल शिपमेंट घटकर 68,473 यूनिट्स रह गया और थ्री व्हीलर वाहनों का एक्सपोर्ट 30% गिरकर 2,91,919 यूनिट्स रह गया।
हालंकि, पैसेंजर व्हीकल एक्सपोर्ट बढ़त के साथ जारी रहा। इसकी अगुआई मारुति सुजुकी इंडिया ने की और अप्रैल-दिसंबर के फिस्कल पीरियड में 2,02,786 यूनिट्स पैसेंजर व्हीकल यूनिट्स का एक्सपोर्ट करने में सफल रही। जो कि पिछले साल की तुलना में 6% ज्यादा है। लेकिन हुंडई मोटर इंडिया ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में करीब 1,29,755 यूनिट्स की बिक्री की। जो कि पिछले साल इसी समय हुई 1,19,099 यूनिट्स की बिक्री से ज्यादा है।
अगर इसके अलावा अन्य ऑटोमेकर्स की बात करें तो, अप्रैल से दिसंबर के बीच किआ इंडिया ने 47,792 यूनिट्स, निसान ने 31,678 यूनिट्स, वोक्सवैगन ने 33,872 यूनिट्स और होंडा ने 20,262 यूनिट्स का एक्सपोर्ट किया।
SIAM के अनुसार, पैसेंजर गाड़ियों के एक्सपोर्ट में हुई बढ़ोतरी की वजह नई गाड़ियों की लॉन्चिंग के साथ ही साथ, खाड़ी बाजारों और दक्षिण अफ्रीका में गाड़ियों की मांग में हुई बढ़ोतरी है और साथ ही सप्लाई चैन के सही से काम करने की वजह से भी ये संभव हो पाया।
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