जानिए क्यों जरूरी हैं इलेक्ट्रिक Electric गाड़ियां? कैसे करेगी प्रदूषण कम

Green Mobility: आज का दिन यानी कि 2 दिसंबर राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (National Pollution Control Day) के तौर पर जाना जाता है. ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण पर चर्चा होनी भी जरूरी है क्योंकि वायु प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को लेकर इस समय करीबन सभी चिंतित हैं। यही वजह है कि बड़े तबके का इलेक्ट्रिक […]

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जानिए क्यों जरूरी हैं इलेक्ट्रिक Electric गाड़ियां? कैसे करेगी प्रदूषण कम

Amisha Singh

  • December 2, 2022 7:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

Green Mobility: आज का दिन यानी कि 2 दिसंबर राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (National Pollution Control Day) के तौर पर जाना जाता है. ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण पर चर्चा होनी भी जरूरी है क्योंकि वायु प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को लेकर इस समय करीबन सभी चिंतित हैं।

यही वजह है कि बड़े तबके का इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर ध्यान बढ़ रहा है और लोग इन गाड़ियों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. बता दें. बढ़ता वायु प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के पीछे गाड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी भी एक अहम कारण है. पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों की तुलना में इलेक्ट्रिक गाड़ियां न के बराबर प्रदूषण पैदा करती हैं.

 

Electric गाड़ियां vs Fuel गाड़ियां

आपको बता दें, देश की सरकार भी इन गाड़ियों को बढ़ावा दे रही है जो कि जरूरी है. बता दें. भारत में परिवहन (Transportation) प्रदूषण के लगभग 15% हिस्से के साथ तीसरे स्थान पर है. फ्यूल गाड़ियों की तुलना में, EVs लगभग कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं करते हैं. यही वजह है कि EVs गाड़ियों में सड़क पर बढ़त देखी जा रही हैं,

 

देश में बढ़ता प्रदूषण

 

भारत सरकार ने साल 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने का हदफ़ तय किया है और इलेक्ट्रिक गाड़ियां इसमें अहम भूमिका अदा कर रही है. गौरतलब है कि EVs के प्रोडक्शन में सबसे बड़ी बाधा EVs की हाई कॉस्ट यानी कि उच्च लागत और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है.

 

कार्बन डाइऑक्साइड प्रदूषण का कारण

 

ग्लोबल वार्मिंग का एक बड़ा कारण कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन है जिसे जिसे इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मदद से ही कंट्रोल किया जा सकता है. जानकारी के लिए बता दें, एक इलेक्ट्रिक गाड़ी हर साल करीबन 1.5 मिलियन ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करती है. देश में फ्यूल गाड़ियों के इस्तेमाल से CO2 उत्सर्जन 2025 तक 721 टन तक पहुंच जाएगा जिसे काबू करना जरूरी है.

 

 

 

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