नई दिल्ली: Hyundai ने अपनी किफायती कारों में जान फूंकने के लिए फेसलिफ्ट वर्जन पेश किया है। कंपनी ने ग्रैंड i10 Nios फेसलिफ्ट को लॉन्च कर दिया है। इसकी कीमत ₹5.68 लाख से ₹8.46 लाख (एक्स शोरूम, दिल्ली) तक है। अपडेटेड मॉडल के स्टाइल में सुधार किया गया है, 30 नई सुविधाएँ और 20 सुरक्षा […]
नई दिल्ली: Hyundai ने अपनी किफायती कारों में जान फूंकने के लिए फेसलिफ्ट वर्जन पेश किया है। कंपनी ने ग्रैंड i10 Nios फेसलिफ्ट को लॉन्च कर दिया है। इसकी कीमत ₹5.68 लाख से ₹8.46 लाख (एक्स शोरूम, दिल्ली) तक है। अपडेटेड मॉडल के स्टाइल में सुधार किया गया है, 30 नई सुविधाएँ और 20 सुरक्षा सुविधाएँ जोड़ी गई हैं। Hyundai Grand i10 Nios के नए फेसलिफ्ट अवतार का मुकाबला Maruti Swift, WagonR और Ignis जैसी कारों से होगा। आइए आपको अधिक जानकारी देते हैं”
नया फ्रंट डिज़ाइन
बड़े एयर इनटेक
LED DRLs
नया बम्पर
15-इंच डायमंड-कट अलॉय व्हील,
शार्क-फिन एंटीना
पीछे नए टेललाइट्स
केबिन में पुश-बटन स्टार्ट/स्टॉप
मोडिफाइड इंस्ट्रूमेंट कंसोल,
ऐप्पल कारप्ले और
एंड्रॉइड ऑटो
8-इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम,
वायरलेस चार्जिंग,
यूएसबी टाइप-सी फास्ट चार्जर,
कूल्ड ग्लोवबॉक्स,
रियर एसी वेंट्स
क्लाइमेट कंट्रोल
टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम,
हिल स्टार्ट असिस्ट,
ISOFIX एंकर माउंट,
ऑटो हेडलैंप
पार्किंग सेंसर
रियर-व्यू
ऑटो एक्सपो के दौरान कई तरह की कारों को प्रदर्शित और लॉन्च भी किया गया लेकिन छोटी कारों या कहें 5 लाख तक की कारों का कहीं ज़िक्र नहीं हुआ। इसके पीछे मुख्य कारण महंगाई को माना जा रहा है। जो व्यक्ति पहले टू व्हीलर खरीदने का सपना देखता था और वह अब खुद को महंगाई के बोझ तले पाता है और उसकी बाइंग कैपेसिटी समाप्त हो जाती है। कारोबारी भी इसे अपना रहे हैं और उनका पूरा ध्यान केवल महँगी गाड़ियों पर है। इसका सीधा सा उदाहरण मारुति की सेल को देखकर देखा जा सकता है। अगर दिसंबर 2021 की सेल से तुलना करें तो 2022 में 40 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी.
भारतीय बाजार में इन दिनों SUV सेगमेंट की सबसे ज्यादा डिमांड है। इसके बाद लोग सेडान को ज्यादा पसंद करते हैं। इसका कारण आराम और बढ़ी हुई बैठने की क्षमता है। इसे ध्यान में रखते हुए वाहन निर्माताओं का फोकस भी इन्हीं दो सेगमेंट पर है। इसके बाद कंपनियों का पूरा फोकस सेडान पर है क्योंकि युवाओं और शहर में घूमने वालों की पहली पसंद सेडान ही होती है।
अब अगर प्रोडक्शन की बात करें तो इसकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है. एयरबैग और प्रदूषण नियम जैसे नियम कार की कीमत में इजाफा करते हैं। ऐसे में छोटी कार बनाना और फिर उसे बजट में बेचना मुश्किल होता है। इसलिए कार निर्माता केवल उन्हीं कारों पर ध्यान देते हैं, जिनके खरीददार को कुछ रुपये जमा करने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।