नई दिल्ली: सस्ती छोटी कार खरीदने का सपना पूरा करने वाले वाहन या कहें कि मिडिल क्लास कार इन दिनों बाजार से गायब होते नजर आ रहे हैं। एक या दो कारों के अलावा, बाजार में बहुत कम कारें बची हैं जो इस सेगमेंट की हैं। अब इस कैटेगरी में सिर्फ ऑल्टो या एस प्रेसो […]
नई दिल्ली: सस्ती छोटी कार खरीदने का सपना पूरा करने वाले वाहन या कहें कि मिडिल क्लास कार इन दिनों बाजार से गायब होते नजर आ रहे हैं। एक या दो कारों के अलावा, बाजार में बहुत कम कारें बची हैं जो इस सेगमेंट की हैं। अब इस कैटेगरी में सिर्फ ऑल्टो या एस प्रेसो जैसी गाड़ियां ही बची हैं और कार निर्माताओं की ऐसी गाड़ियों को फिर से लॉन्च करने की भी कोई योजना नहीं है।
ऑटो एक्सपो के दौरान कई तरह की कारों को प्रदर्शित और लॉन्च भी किया गया लेकिन छोटी कारों या कहें 5 लाख तक की कारों का कहीं ज़िक्र नहीं हुआ। इसके पीछे मुख्य कारण महंगाई को माना जा रहा है। जो व्यक्ति पहले टू व्हीलर खरीदने का सपना देखता था और वह अब खुद को महंगाई के बोझ तले पाता है और उसकी बाइंग कैपेसिटी समाप्त हो जाती है। कारोबारी भी इसे अपना रहे हैं और उनका पूरा ध्यान केवल महँगी गाड़ियों पर है। इसका सीधा सा उदाहरण मारुति की सेल को देखकर देखा जा सकता है। अगर दिसंबर 2021 की सेल से तुलना करें तो 2022 में 40 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी.
भारतीय बाजार में इन दिनों SUV सेगमेंट की सबसे ज्यादा डिमांड है। इसके बाद लोग सेडान को ज्यादा पसंद करते हैं। इसका कारण आराम और बढ़ी हुई बैठने की क्षमता है। इसे ध्यान में रखते हुए वाहन निर्माताओं का फोकस भी इन्हीं दो सेगमेंट पर है। इसके बाद कंपनियों का पूरा फोकस सेडान पर है क्योंकि युवाओं और शहर में घूमने वालों की पहली पसंद सेडान ही होती है।
अब अगर प्रोडक्शन की बात करें तो इसकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है. एयरबैग और प्रदूषण नियम जैसे नियम कार की कीमत में इजाफा करते हैं। ऐसे में छोटी कार बनाना और फिर उसे बजट में बेचना मुश्किल होता है। इसलिए कार निर्माता केवल उन्हीं कारों पर ध्यान देते हैं, जिनके खरीददार को कुछ रुपये जमा करने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
हमारे देश में एक वक़्त एंट्री लेवल हैचबैक गाड़ियां को बेइंतेहा पसंद किया जाता था। इसके साथ ही, बीते कुछ सालों में एसयूवी सेगमेंट को पंसद करने वालों की तादाद में भी इज़ाफ़ा देखने को मिलता था। एक दौर ऐसा आ गया था सेडान सेगमेंट को पसंद करने वालों की तादाद धीमी पड़ती जा रही था। ऐसा हीबीते साल भी भी देखने को मिला था। देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली 25 कारों की लिस्ट में सेडान का सिर्फ एक मॉडल शामिल था। लेकिन अब एक बार फिर से छोटी गाड़ियों को तवज्जो मिलना बंद होता नज़र आ रहा है.