नई दिल्ली : कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अमेरिकी दौरे के दौरान टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद टेस्ला के भारत में प्रवेश को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। एलन मस्क ने भी इसे हरी झंडी दे दी है और हायरिंग के साथ ही अपनी कंपनी के लिए जमीन की तलाश भी शुरू कर दी है। इस खबर से पूरी ऑटो इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया है। ऑटो सेक्टर की बड़ी कंपनियां जैसे महिंद्रा से लेकर मारुति तक सभी बड़ी कंपनियां इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वे ईवी सेक्टर में टेस्ला से कैसे मुकाबला करेंगी?
हालांकि रतन टाटा के निधन के बाद से ऑटो इंडस्ट्री की दिग्गज कंपनी यानी टाटा मोटर्स अभी भी सो रही है। ईवी में टाटा मोटर्स की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है। कंपनी को इस मुकाम पर पहुंचाने के लिए रतन टाटा ने काफी मेहनत की थी। लेकिन पिछले कुछ महीनों से कंपनी के प्रदर्शन में गिरावट आ रही है। ऑल टाइम हाई टाटा मोटर्स का शेयर अपने ऑल टाइम हाई से 44 फीसदी गिर चुका है। कंपनी का वैल्यूएशन करीब 2 लाख करोड़ रुपये कम हो गया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो टाटा मोटर्स निफ्टी का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला शेयर है। ऐसे में सवाल उठता है कि टेस्ला से मुकाबला करने के लिए टाटा मोटर्स को शेयर बाजार में फिर से कोशिश करनी होगी ताकि देश के लोगों को यकीन हो सके कि टाटा मोटर्स टेस्ला से मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
टेस्ला के भारत में लॉन्च होने की तैयारी के साथ ही टाटा मोटर्स समेत कई अन्य घरेलू कार निर्माता इसके असर से डरे हुए हैं। हालांकि, टेस्ला की एंट्री से ऑटो सेक्टर को कोई खतरा नहीं है। कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि टेस्ला की 4 लाख रुपये अधिक की अपेक्षित कीमत टाटा मोटर्स समेत भारतीय ईवी निर्माताओं के साथ इसकी प्रतिस्पर्धा को सीमित कर देगी। टेस्ला की ब्रांड अपील और तकनीक कुछ ग्राहकों को आकर्षित कर सकती है, लेकिन विश्लेषकों को भरोसा है कि स्थानीय कार निर्माता ईवी सेगमेंट में बड़े पैमाने पर हावी रहेंगे।
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