नई दिल्ली: टोयोटा ने 8 दिसंबर 2022 से 12 जनवरी 2023 के बीच बनी हैराइडर और ग्लैंजा की यूनिट्स को रिकॉल किया है। खबर है कि इन मॉडल्स की 1,390 यूनिट्स में खराबी हो सकती है, जिसे तुरंत ठीक करने की जरूरत है। एयरबैग असेंबली कंट्रोलर डिफेक्टिव यानी ख़राब हो सकता है। इस स्थिति में […]
नई दिल्ली: टोयोटा ने 8 दिसंबर 2022 से 12 जनवरी 2023 के बीच बनी हैराइडर और ग्लैंजा की यूनिट्स को रिकॉल किया है। खबर है कि इन मॉडल्स की 1,390 यूनिट्स में खराबी हो सकती है, जिसे तुरंत ठीक करने की जरूरत है। एयरबैग असेंबली कंट्रोलर डिफेक्टिव यानी ख़राब हो सकता है। इस स्थिति में दुर्घटना की स्थिति में एयरबैग नहीं खुलेंगे। हालाँकि, आज तक ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है जिसमें इन मॉडलों के एयरबैग खुलने में विफल रहे हों। लेकिन, एहतियात के तौर पर टोयोटा ने गाड़ियों को वापस बुला लिया है।
यदि जांच में कोई पुर्जा खराब पाया जाता है, तो उसे ग्राहकों को बिना किसी लागत के बदल दिया जाएगा। इस बीच कार कंपनी टोयोटा ने वापस बुलाई गई कारों (ग्लांजा और हैराइडर) के मालिकों से जांच पूरी होने तक अपनी कारों को कम इस्तेमाल करने के लिए कहा है। आपको फिर से बता दें टोयोटा के डिफेक्टिव मॉडल्स के नाम (Glanza and Hayrider) है.
अगर दुर्घटना की स्थिति में आपकी कार के एयरबैग खुलते नहीं हैं, तो उनमें बैठे लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। दुर्घटना की स्थिति में एयरबैग कार में मौजूद लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसी वजह से सरकार द्वारा पहले ही यह अनिवार्य कर दिया गया है कि किसी भी कार में कम से कम 2 एयरबैग जरूर होने चाहिए। यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से कार के एयरबैग्स को सबसे बेहतर सेफ्टी फीचर्स माना जाता है।
आपको बता दें कि अक्सर जब भारत में कार खरीदने की बात आती है तो बजट के साथ-साथ हम कार के लुक, डिजाइन, फीचर्स और स्पेस की बात करते हैं, लेकिन हम शायद सेफ्टी पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। 5-स्टार क्रैश टेस्ट रेटिंग प्राप्त करने के लिए ग्लोबल एनसीएपी दुनिया भर में गाड़ियों की सुरक्षा रेटिंग जारी करता है।
Tata Punch (टाटा पंच)
Mahindra XUV300 (महिंद्रा एक्सयूवी300)
Tata Altroz (टाटा अल्ट्रोज)
Tata Nexon (टाटा नेक्सन)
Mahindra XUV700 (महिंद्रा एक्सयूवी700)
एयरबैग सोडियम एजाइड गैस से भरे होते हैं। एयरबैग कॉटन की मदद से बना होता है और इस पर सिलिकॉन के साथ कोटिंग की जाती है। ये एयरबैग कार के कई सारे सेंसर्स से कनेक्ट रहते हैं. दुर्घटनाग्रस्त होने पर ये सेंसर चालू हो जाते हैं और एयरबैग तक मैसेज भेजते हैं। उसके बाद एयरबैग फटाफट खुल जाते हैं और कार में बैठे लोगों की जान बच जाती है. पहले सिर्फ ड्राइवर की सीट पर ही एयरबैग लगा होता था, लेकिन अब आगे की दोनों सीटों पर एयरबैग लगाना अनिवार्य हो गया है।