नई दिल्ली: आज कल गाड़ियां काफी सारे सेफ्टी फीचर्स के साथ आने लगी हैं. कुछ फीचर्स तो गाड़ियों में ऐसे भी होते हैं, जिनका नाम तो हम लंबे समय से जानते हैं लेकिन उनके सही इस्तेमाल के बारे में हमे कुछ भी नहीं पता. ऐसा ही एक फीचर होता है DRL. इन दिनों ज्यदातर गाड़ियों में DRL का फीचर दिया जाने लगा है. बताते चलें कि यह गाड़ी की हेडलाइट के ठीक ऊपर या नीचे दी जाती है. इसके साथ ही यह लाइट ऑन करने के बाद हमेशा ही जलती रहती है. ऐस में आज हम आपको बताने वाले हैं कि आखिर ये लाइट्स क्यों दी जाती हैं और गाड़ी में इनका क्या काम होता है.
DRL एक ऑटोमोटिव लाइटिंग डिवाइस होता हैं जो इंजन के ऑन पर ऑटोमैटिकली ऑन हो जाते हैं. इन्हें डे टाइम रनिंग लाइट के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन इन्हें आप हेडलाइट्स का हिस्सा न समझें। ऐसा इसलिए क्योंकी यह बाकी लोगों को आपकी गाड़ी नज़र आने के लिए इस्तेमाल होती हैं.
यानी सड़क पर चल रहे बाकी लोगों को आपकी गाड़ी दूर से ही नजर आ सके. यह बाकी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं, जिससे कि रोड एक्सीडेंट का खतरा कम हो सके. इतना ही नहीं, जब तक कार का इंजन बंद नहीं होता तब तक यह जलती ही रहती है. DRL का काम सड़क पर रोशनी डालने का नहीं होता है. गौरतलब है कि कार के अलावा अब कई बाइक्स में भी DRL मिलने लगा है. LED DRL लंबे समय तक चलने वाले, एनर्जी एफिशिएंट होते हैं और एक प्रकार की तेज़ और चमकदार सफेद रोशनी देते हैं.
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