मुंबई. इंसान में जब पैसों और शोहरत की भूख बेलगाम हो जाती है तो उसमें वाजिब और गैरवाजिब रास्तों की पहचान खत्म हो जाती है, फिर उसके लिए मर्यादा, नैतिकता और परिवार की लक्ष्मण रेखाओं के मायने भी खत्म हो जाते हैं.
इंद्राणी मुखर्जी का मामला भी ऐसा ही है. दरअसल इंद्राणी हम सबके सामने उस सबक की तरह है जो उन तमाम रास्तों को बंद करने की नसीहत देता है जो कभी खत्म ना होने वाले अँधी सुरंगों में खुलते हैं.
अर्धसत्य में आज इंद्राणी के वो सच आपके सामने होंगे जो कह रहे हैं कि पैसा परिवार और परंपरा को कभी अपने पागलपन का शिकार मत होने दीजिए.