अर्ध सत्य: स्टीफन हॉकिंग का दावा, 100 साल में इस तरह खत्म होगी धरती

एम्मरिच की हॉलीवुड फिल्म 2012 की है. इस फिल्म को लेकर दुनिया भर में नई तरह की बहस छिड़ी और बात आई-गई वाली होकर रह गई. लेकिन इस बार दुनिया के महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने कहा है कि अगले 100 साल में धरती का खत्म हो जाना तय है और अगर मानव सभ्यता को अपना अस्तित्व बचाना है

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अर्ध सत्य: स्टीफन हॉकिंग का दावा, 100 साल में इस तरह खत्म होगी धरती

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  • May 7, 2017 5:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: एम्मरिच की हॉलीवुड फिल्म 2012 की है. इस फिल्म को लेकर दुनिया भर में नई तरह की बहस छिड़ी और बात आई-गई वाली होकर रह गई. लेकिन इस बार दुनिया के महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने कहा है कि अगले 100 साल में धरती का खत्म हो जाना तय है और अगर मानव सभ्यता को अपना अस्तित्व बचाना है तो उसे धरती की तरह ही किसी दूसरे ग्रह पर जाना होगा, जहां वो रह सकें.
 
आइंस्टीन ने कहा था दुनिया में दो चीजें असीमित हैं. एक ब्रम्हांड और दूसरा मानव द्वारा की जानेवाली मूर्खताएं. पूरी दुनिया विकास और बदमिज़ाजी की ऐसी अंधी दौड़ में शामिल हो चुकी है कि धरती के खत्म होने का खतरा लगातार बढता जा रहा है. हम अपनी जिंदगी में इतने लगे पड़े रहते हैं कि बार बार की चेतावनियां हमारी समझ में आती ही नहीं, हम ये सोच ही नहीं पाते कि आनेवाली नस्लों को हम क्या देने जा रहे हैं. 
 
अब दुनिया के जाने माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ये दावा कर रहे हैं कि धरती पर मावन सभ्यता का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और हमारी-आपकी पृथ्वी, जिस पर हम हैं, हमारा घर है, हमारी सभ्यता है, हमारा इतिहास है, राम रहीम, ईसा, मूसा, पैगम्बर, नानक हैं सब खत्म होने वाला है. ये क्यों होगा और स्टीफन हाकिंग की चेतावनी के पीछे की वजहें क्या हैं.
 
कहते हैं आज तक स्टीफन हॉकिंग की कोई भी गणना या कोई भी फॉर्मूला फेल नहीं हुआ. उसे गलत नहीं ठहराया जा सका. उसी स्टीफन हॉकिंग की ये बातें डराने वाली है. जिसे उन्होंने बीबीसी के लिए बनी एक वीडियो डॉक्यूमेंट्री ‘एक्सपिडिशन न्यू अर्थ’ में कही है.
 
इस डॉक्यूमेंट्री में ये दावा किया गया है कि 22 वीं शताब्दी धरती की आखिरी शताब्दी होगी. इंसान को आने वाले कुछ दशकों में अपने लिए नई दुनिया की तलाश करनी होगी. हॉकिंग इसके लिये पांच वजहें रख रहे हैं. 
 
दुनिया की सबसे पुराने शहरों में से एक वाराणसी में मौजूद गंगा है. गंगा को देखकर लगता है नहीं कि ये कोई सदानीरा हो. बल्कि अंदेशा इस बात का होता है कि जून-जुलाई तक इसका पानी एक सोते या नाले में सिमटकर रह जाएगा. जबकि आज से सिर्फ 20 साल पहले बनारस में गंगा कुछ और हुआ करती थी.
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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