Narendra Dabholkar Murder Case: डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के लगभग 11 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। पुणे की एक विशेष अदालत ने आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही तीन हमलावर वीरेंद्र सिंह तावड़े, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को सबूतों […]
Narendra Dabholkar Murder Case: डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के लगभग 11 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। पुणे की एक विशेष अदालत ने आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही तीन हमलावर वीरेंद्र सिंह तावड़े, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर धार्मिक पाखंड और अंधविश्वास उन्मूलन के लिए कार्य करते थे। लगभग 10 साल तक मेडिकल प्रैक्टिस के बाद उन्होंने 1989 में महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का गठन किया। वो इस समिति के कार्याध्यक्ष थे। MANS यानी महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के द्वारा उन्होंने सभी धर्मों में फैले काले जादू और अंधविश्वास की चीजों को चुनौती दी।
20 अगस्त, 2013 को दाभोलकर जब सुबह-सुबह टहलने के लिए निकले तो पुणे के वीआर शिंदे ब्रिज के पास बाइक सवार दो अपराधियों ने उन पर गोली चला दी। एक गोली उनके सिर पर और दो गोलियां सीने में लगी। अपराधी वारदात को अंजाम देकर मौके से फरार हो गया। इस हत्या को इस तर्क से जोड़ दिया गया कि उन्होंने धर्म के चरमपंथियों से पंगा लिया, इस वजह से उनकी हत्या कर दी गई।
दाभोलकर की हत्या के बाद बवाल मच गया। उनकी बेटी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की। केस CBI को सौंप दिया गया। 15 सितंबर, 2021 को 5 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किये गए। कोर्ट ने माना की उनकी हत्या के खिलाफ साजिश हुई थी ताकि फिर कोई और ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ का काम नहीं कर पाए। वीरेंद्र सिंह तावड़े को मुख्यसाजिशकर्ता माना गया। वर्तमान में वीरेंद्र सिंह तावड़े जेल में बंद हैं लेकिन कोर्ट ने उसे रिहा कर दिया है।
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