नई दिल्ली. तीन निर्दलीय विधायकों के नायब सिंह सैनी सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद हरियाणा में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. स्थिति की नजाकत को भांपकर सरकार भी सक्रिय हो गई है और जेजेपी के तीन एमएलए पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के द्वार पहुंच गये हैं. खास बात यह है कि बेशक […]
नई दिल्ली. तीन निर्दलीय विधायकों के नायब सिंह सैनी सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद हरियाणा में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. स्थिति की नजाकत को भांपकर सरकार भी सक्रिय हो गई है और जेजेपी के तीन एमएलए पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के द्वार पहुंच गये हैं. खास बात यह है कि बेशक विपक्ष खासतौर से कांग्रेस सरकार के अल्पमत में आने का दावा कर रही है लेकिन सैनी सरकार बेफिक्र है.
नायब सिंह सैनी सरकार से दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान, पुंडरी से विधायक रणधीर सिंह गोलेन और नीलोखेड़ी से विधायक धरमपाल गोंदेर ने समर्थन वापस ले लिया है. उधर जननायक जनता पार्टी के विधायक जोगी राम सिहाग, राम निवास सुरजाखेड़ा ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान किया है. इन दोनों के अलावा दो और विधायक देवेंदर बबली और राम करण काला भी बगावती तेवर दिखा रहे हैं.
आगे की रणनीति तय करने के लिए देवेंदर बबली ने तो 11 मई को बैठक बुलाई है. जेजेपी के दुष्यंत चौटाला ने इससे पहले फ्लोर टेस्ट कराने और बीजेपी सरकार गिराने के लिए किसी को भी समर्थन देने का ऐलान किया था. ये सब घटनाक्रम चल ही रहा था कि बीजेपी ने जेजेपी में ही सेंध लगा दी. कांग्रेस नायब सिंह सैनी सरकार को हटाने के लिए कुलांचे भर रही थी और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा था.
सबसे बड़ा सवाल है कि इतनी राजनीतिक हलचलच चल रही है और सैनी सरकार खामोशी अख्तियार किये हुए है मानो कुछ हुआ ही नहीं है. दरअसल इसके पीछे का कारण यह है कि सैनी सरकार ने 13 मार्च को ही विश्वास मत हासिल किया था, इसके पहले 23 फरवरी में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था लिहाजा छह महीने बाद यानी 23 अगस्त के बाद ही नया अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. इसी वजह से सैनी सरकार बेफिक्र है.
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