नई दिल्ली. असहिष्णुता की बहस में साहित्य अकादमी की साख को जो नुकसान पहुंचा है अब अकादमी उसकी भरपाई करने कि तैयारी में है. अकादमी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए साहित्यकारों के लौटाए हुए चेक को कैश न कराने का फैसला लिया है जिससे पुरस्कार राशि वापस नहीं हो पायेगी. दरअसल चेक की डेट निकल जाने के बाद वह कैंसिल हो जाएगा और राशि साहित्यकार के अकाउंट में ही रह जायेगी.
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का कहना है कि 17 दिसंबर को कार्यकारी समिति की बैठक में तय होगा, क्योंकि इस तरह की कोई समस्या पहले नहीं थी, इसलिए इसपर कोई पॉलिसी नहीं है. हमारी अपील है, पर 43 में से किसी साहित्यकार ने पुरस्कार वापस नहीं लिया है. साहित्य अकादमी की समस्या ये है कि वो सरकार को भी नाराज नहीं करना चाहती और साहित्यकारों के बीच भी गलत संदेश नहीं देना चाहती. इसलिए अकादमी ने बीच का रास्ता निकाला है.
अकादमी सूत्रों का कहना है कि ये अकादमी किसी भी साहित्यकार का सम्मान वापस नहीं लेगी क्योंकि सम्मान जिस कृति को दिया गया उसका सम्मान कभी कम नहीं हो सकता और जहां तक वापस किए गए चेक का सवाल है तो तीन महीने तक रखे रखने के बाद सारे चेक अपने आप समाप्त हो जाएंगे. यानी चेक की राशि साहित्यकार के अकाउंट में ही रहेगी.
अकादमी भले साहित्यकारों से सम्मान की राशि नहीं लेना चाहती लेकिन पहला अवॉर्ड वापस करने वाले साहित्यकार उदय प्रकाश ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर अकादमी सम्मान की राशि वापस नहीं लेगी तो अपनी सम्मान राशि को किसी ऐसे संगठन को दे देंगे जो सहिष्णुता के लिए काम कर रही हो.