जानें क्यों फांसी हमेशा सुबह 4:30 में दी जाती है

ये सवाल अक्सर पूछा जाता रहा है कि भारत (India) में फांसी (Capital Punishment) लंबे समय से सूर्योदय से पहले (तड़के) ही क्यों दी जाती है.

हालांकि अंग्रेजों के जमाने में भी फांसी की सजा जेल में सुबह सूरज की पहली किरण से पहले ही दी जाती थी, और वैसा ही अब भी हो रहा है.

 भारत के जेल मैन्यूल में फांसी के समय के बारे में स्पष्ट दिशा निर्देश हैं. जेल मैन्युअल कहता है कि फांसी सुबह तड़के ही दी जानी चाहिए. 

फांसी सूर्योदय से पहले ही दी जाती है ताकि जेल का काम प्रभावित नहीं हो। इसके लिए सुबह चार बजे ही कैदी को जगा दिया जाता है

 जिसे फांसी होनी होती है, वो खौफ में रातभर जगा रहता है, सुबह 4 बजे कैदी को नहाने के लिए होता है और उसे पहनने को नए कपड़े दिए जाते हैं

फांसी की सजा सुबह का समय इसलिए चुना जाता है क्योंकि सुबह-सुबह फांसी देना कैदी के लिए मानसिक तौर पर आसान होता है.

फांसी के कारण जेल के बाकी कार्य प्रभावित ना हो ऐसा इसलिए ऐसा समय चुना जाता है।