Surya Dev Ki Aarti: करना चाहते हैं सभी दुखों का नाश, तो इस तरह करें भगवान सूर्य की विशेष आरती

नई दिल्लीः सनातन धर्म में भगवान सूर्य की पूजा बहुत लाभकारी मानी जाती है। रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग रविवार का व्रत रखते हैं और श्रद्धापूर्वक पूजा के नियमों का पालन करते हैं उन्हें ग्रहों के राजा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे […]

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Surya Dev Ki Aarti: करना चाहते हैं सभी दुखों का नाश, तो इस तरह करें भगवान सूर्य की विशेष आरती

Tuba Khan

  • April 21, 2024 9:42 am Asia/KolkataIST, Updated 7 months ago

नई दिल्लीः सनातन धर्म में भगवान सूर्य की पूजा बहुत लाभकारी मानी जाती है। रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग रविवार का व्रत रखते हैं और श्रद्धापूर्वक पूजा के नियमों का पालन करते हैं उन्हें ग्रहों के राजा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में सुबह स्नान के बाद जल में गुड़, रोली और अक्षत मिलाकर अर्पित करें। इसके बाद श्रद्धापूर्वक आरती करें। इससे सारी चिंताएं नष्ट हो जाएंगी, तो आइए यहां पढ़ें सूर्य देव की आरती।

।। भगवान सूर्य की आरती ।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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