नई दिल्लीः दो महीने से ज्यादा वक्त से खींचतान के बाद अमेरिकी संसद के प्रतिनिधी सभा सदन में सहयोगी देशों को 95 अरब डॉलर की मदद का प्रस्ताव पारित हो गया। राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों से अपील की थी। अमेरिकी मदद की […]
नई दिल्लीः दो महीने से ज्यादा वक्त से खींचतान के बाद अमेरिकी संसद के प्रतिनिधी सभा सदन में सहयोगी देशों को 95 अरब डॉलर की मदद का प्रस्ताव पारित हो गया। राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों से अपील की थी। अमेरिकी मदद की इस धनराशि का बड़ा हिस्सा यूक्रेन और इजरायल को मिलेगा। साथ ही ताइवान को भी मदद की जाएगी।
यह प्रस्ताव पारित होने के बाद राष्ट्रपति वोलदिमीर जेलेंस्की ने खुशी जाहिर की है। वहीं रुस ने कहा कि नए हथियारों से यूक्रेन में युद्ध तेज होगा और वहां पर ज्यादा लोगों की मौत होगी। यूक्रेन पिछले छह महीनों से हथियार और गोला-बारुद की कमी से जुझ रहा है। जिसका सीधा प्रभाव रुसी सेना के साथ उसके युद्ध के मोर्चे पर पड़ रहा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की कई बार सहयोगी राष्ट्र से हथियारों और गोला-बारूद की मदद मांग चुके हैं। प्रतिनिधि सभा द्वारा पास प्रस्ताव के अनुसार सर्वाधिक 60.84 अरब डॉलर की सहायता यूक्रेन को दी मिलेगी। इसमें से 23 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी हथियार दिए जाएंगे। जबकि गाजा से युद्ध लड़ रहे इजरायल को 26 अरब डॉलर की सहायता मिलेगी जिसमें हथियार भी शामिल होंगे।
पारित प्रस्ताव के अनुसार 9.1 अरब डॉलर की धनराशि मानवधिकारों की रक्षा के लिए दी जाएगी। वहीं 8.12 अरब डॉलर हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में अमेरिका के करीबी देश को मिलेंगे। शुक्रवार को प्रतिनिधी सभा में प्रस्ताव के समर्थन में 316 और विरोध में 94 वोट पड़े।
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