नई दिल्ली: रोशनी और धूप के बिना जीवन बड़ा ही अटपटा लगता है, सभी के लिए सूरज की किरणें बेहद जरूरी है. इंसान ही नहीं बल्कि पेड़-पौधे, पशु-पक्षी भी धूप के बिना नहीं रह सकते, लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां सूरज के दर्शन करने के लिए तरस रहे हैं. दरअसल इटालियन-स्विस सीमा पर […]
नई दिल्ली: रोशनी और धूप के बिना जीवन बड़ा ही अटपटा लगता है, सभी के लिए सूरज की किरणें बेहद जरूरी है. इंसान ही नहीं बल्कि पेड़-पौधे, पशु-पक्षी भी धूप के बिना नहीं रह सकते, लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां सूरज के दर्शन करने के लिए तरस रहे हैं. दरअसल इटालियन-स्विस सीमा पर स्थित एक छोटा सा गांव जिसका नाम विगनेला है, यहां सूरज तो उगता है, मगर धूप की किरण यहां नहीं पहुंच पाती है. यहां हर साल नवंबर से फरवरी तक अंधेरे से डूबा रहता है।
यहां एक तरफ घाटी तो दूसरी तरफ पहाड़ों से घिरा हुआ है. यहां ठंड के समय में सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती है. विगनेला गांव में ठंड के समय अंधेरे से सन्नाटा पसर जाता है. इस गांव के लिए यह एक समस्या बनी हुई थी. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए गांववालों ने एक गजब जुगाड़ खोज लिया. गांववालों ने मिलकर धरती पर ही सूरज को उतार दिया. गांववालों ने धूप की ऐसी व्यवस्था की है जिसे देखकर आपको लगेगा कि उन्होंने अपने लिए अलग से एक सूरज उतार लिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार साल 1999 में विगनेला के स्थानीय आर्किटेक्ट जियाकोमो बोन्ज़ानी ने एक धूपघड़ी लगाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन इस सुझाव को तत्कालीन मेयर फ्रेंको मिडाली ने खारिज कर दिया. मेयर ने धूपघड़ी की जगह उस वास्तुकार को कुछ ऐसा बनाने के लिए सोचा, जिससे गांव में पूरे साल धूप पड़ती रहे. धूप के लिए इंजीनियर गियानी फेरारी और आर्किटेक्ट बोन्ज़ानी ने मिलकर पांच मीटर लंबा और आठ मीटर चौड़ा एक विशाल मिरर डिजाइन किया, जिसे बनाने में करीब एक करोड़ रुपए की लागत आई. इस प्रोजेक्ट का काम साल 2006 में पूरा हो गया. इस मिरर में एक खास सॉफ्टवेयर प्रोग्राम भी लगाया गया, जिसके बदौलत मिरर सूरज के पथ के हिसाब से घूमता है. इस विशाल मिरर से गांव में सूरज की रोशनी रिफ्लेक्ट होकर आने लगी और 6 घंटे तक गांव में रोशनी रहने लगी।
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