अगर आप माँ ब्रह्मचारिणी को करना चाहते है खुश तो करें इन मंत्रों का जाप और आरती

नई दिल्ली : नवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह त्योहार देवी दुर्गा को समर्पित है. देवी मां के भक्त इस नौ दिवसीय त्योहार को बड़े प्रेम और उत्साह के साथ मनाते हैं. बता दें कि चैत्र नवरात्रि का आज यानी 10 अप्रैल को दूसरा दिन है. इस दिन चैत्र […]

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अगर आप माँ ब्रह्मचारिणी को करना चाहते है खुश तो करें इन मंत्रों का जाप और आरती

Shiwani Mishra

  • April 10, 2024 8:22 am Asia/KolkataIST, Updated 8 months ago

नई दिल्ली : नवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह त्योहार देवी दुर्गा को समर्पित है. देवी मां के भक्त इस नौ दिवसीय त्योहार को बड़े प्रेम और उत्साह के साथ मनाते हैं. बता दें कि चैत्र नवरात्रि का आज यानी 10 अप्रैल को दूसरा दिन है. इस दिन चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, विष्कम्भ और प्रीति योग, भरणी नक्षत्र है. आज के दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती हैं.

घर में सुख-शांति लाएंगी माता रानी

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मां ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से व्यक्ति अपने कार्य में सफल होते हैं और हर संकट से लड़ने की क्षमता पैदा होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से उस व्यक्ति को जप, तप, त्याग, संयम आदि की प्राप्ति होती है, तो आईए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की महत्व , मंत्र, और भोग के बारे में…..

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है, और जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से कभी विचलित नहीं होता. बता दें कि माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है, और दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है.

मां ब्रह्मचारिणी का भोग

Chaitra Navratri

Chaitra Navratri

बता दें कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के बाद उन्हें शक्कर का भोग लगाना चाहिए, क्योंकि उनको शक्कर बहुत प्रिय है. ऐसा माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता.

मां ब्रह्माचारिणी का मूल मंत्र

1. या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

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