नई दिल्ली : नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. जीवन में सुख-शांति के लिए भी व्रत रखा जाता है. ये त्यौहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. बता दें कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत […]
नई दिल्ली : नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. जीवन में सुख-शांति के लिए भी व्रत रखा जाता है. ये त्यौहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. बता दें कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है और नवमी तिथि के साथ इसका समापन होता है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक ये चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल यानि आज से शुरू हो रही है.
इस दौरान माता रानी के 9 अलग-अलग रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. बता दें कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है. शास्त्रों के मुताबिक मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं, और मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना करने से चंद्र दोष से मुक्ति भी मिलती है, तो आइए जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना का मुहूर्त, आरती भोग और मंत्र सब कुछ.
ब्रह्रा मुहूर्त सुबह 04:31 से 05: 17 तक
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:57 से दोपहर 12: 48 तक
विजय मुहूर्त दोपहर 02:30 से दोपहर 03: 21 तक
गोधूलि मुहूर्त शाम 06:42 से शाम 07: 05 तक
अमृत काल रात्रि 10:38 से रात्रि 12: 04 तक
निशिता काल रात्रि 12:00 से 12: 45 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक
अमृत सिद्धि योग सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक
दरअसल मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं बहुत प्रिय हैं. हालांकि मां को भोग में सफेद मिष्ठान और घी चढ़ाए, माना जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने और ये भोग लगाने से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
1. ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
2. वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
3. या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
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