नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक यूट्यूबर की जमानत बहाल करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाले हर शख्स को जेल में नहीं डाला जा सकता है। बता दें कि यूट्यूबर पर 2021 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप था। इस दौरान न्यायमूर्ति […]
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक यूट्यूबर की जमानत बहाल करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाले हर शख्स को जेल में नहीं डाला जा सकता है। बता दें कि यूट्यूबर पर 2021 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप था। इस दौरान न्यायमूर्ति अभय एस. ने कहा कि ऐसे तो न जाने कितने यूट्यूबर जेल में होंगे।
ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि अगर चुनाव से पहले हम यूट्यूब पर आरोप लगाने वाले हर व्यक्ति को जेल में डालना शुरू कर देंगे, तो कल्पना कीजिए कि कितने लोग सलाखों के पीछे होंगे। सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने आरोपी ए. दुरइमुरुगन सत्तई की जमानत रद्द करने के फैसले को निरस्त कर दिया। बता दें कि पीठ मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली सत्तई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने उनकी जमानत निरस्त कर दी थी, क्योंकि उन्होंने कोर्ट को दिए हलफनामे का उल्लंघन करते हुए स्टालिन के खिलाफ कुछ टिप्पणी की थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी ने विरोध और अपने विचार व्यक्त करके अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग नहीं किया है। कोर्ट ने राज्य सरकार के उस अपील को भी खारिज कर दिया, जिसमें सत्तई पर जमानत के दौरान अपमानजनक टिप्पणी करने से परहेज की शर्त की मांग की गई थी।
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