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Typhoid: कोरोना के नक़्शे कदम पर चल रहा टायफाइड, 2 करोड़ लोग हर साल हो रहे प्रभावित; 1.6 लाख की जा रही जान

नई दिल्लीः कोरोना वायरस की तरह टाइफाइड का बैक्टीरिया भी देश में एक शहर से दूसरे शहर में फैल रहा है। जिन स्थानों पर यह जीवाणु सबसे अधिक आक्रामक है, वह पांच किलोमीटर तक के दायरे में आबादी को प्रभावित कर सकता है। इसका खुलासा भारत और अमेरिका के 32 वैज्ञानिकों के एक समूह ने […]

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Typhoid: कोरोना के नक़्शे कदम पर चल रहा टायफाइड, 2 करोड़ लोग हर साल हो रहे प्रभावित; 1.6 लाख की जा रही जान
  • April 5, 2024 8:40 am Asia/KolkataIST, Updated 9 months ago

नई दिल्लीः कोरोना वायरस की तरह टाइफाइड का बैक्टीरिया भी देश में एक शहर से दूसरे शहर में फैल रहा है। जिन स्थानों पर यह जीवाणु सबसे अधिक आक्रामक है, वह पांच किलोमीटर तक के दायरे में आबादी को प्रभावित कर सकता है। इसका खुलासा भारत और अमेरिका के 32 वैज्ञानिकों के एक समूह ने किया, जिन्होंने भारत में साल्मोनेला टाइफी जीवाणु के लगातार बढ़ते प्रसार के मुख्य कारणों की पहचान की। अमेरिकन सोसायटी ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने कहा कि भारत में शहरों के बीच टाइफाइड बैक्टीरिया फैल रहा है। साथ ही इसके स्थानीय समूहों में फैलने के साक्ष्य सामने आए हैं।

दरअसल, साल्मोनेला टाइफी एक जीवाणु है जो आंतों और रक्त को संक्रमित करता है। इस बीमारी को टाइफाइड बुखार कहा जाता है। एस. पैराटाइफी ए, बी और सी बैक्टीरिया और सी भी इसी तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं। भारत टाइफाइड बुखार की सबसे अधिक घटनाओं वाले देशों में से एक है। अनुमान है कि टाइफाइड बुखार 1-2 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है और हर साल 1.2 लाख लोगों की मौत का कारण बनता है।

नवी मुंबई में मिले सबूत

भारत में टाइफाइड टीकाकरण अभी तक शुरू नहीं हुआ है, लेकिन 2018 में, नवी मुंबई नगर पालिका ने अपने जिले में टाइफाइड टीकाकरण अभियान शुरू किया। पहले चरण में 50 प्रतिशत आबादी को कवर करने के बाद कोरोना महामारी के कारण इस अभियान को बीच में ही रोकना पड़ा, लेकिन 2018 से 2021 के बीच वैज्ञानिकों ने जीनोम अनुक्रमण और रोगाणुरोधी प्रतिरोध के भौगोलिक पैटर्न का अध्ययन करके नवी मुंबई से 228 बैक्टीरिया को अलग किया। 228 बैक्टीरिया में से 174 साल्मोनेला टाइफी और 54 साल्मोनेला पैराटाइफी ए थे। उनमें से एक स्ट्रेन था जिसकी पहचान 36 साल पहले भारत में की गई थी।

कई शहरों में एक जैसा स्ट्रेन

वैज्ञानिकों ने कहा कि बैक्टीरिया को नवी मुंबई से नमूनों की जीनोम अनुक्रमण के माध्यम से अलग किया गया, उन्होंने कहा कि यह स्ट्रेन मुंबई और वेल्लोर में भी पाया गया है। इससे पता चलता है कि देश भर के अधिकांश शहरों में वायरस का एक ही प्रकार प्रचलित है। वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि H58 टाइफाइड स्ट्रेन मुंबई से नवी मुंबई तक कई बार फैल चुका है।

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