Research: भारत में तेज़ी से बढ़ा पार्किंसंस रोगियों की संख्या, जानें कैसे करें इसकी पहचान

नई दिल्ली : टेक्नोलॉजी की मदद से चिकित्सा एक और बड़ी सफलता हासिल कर ली है. भारतीय शोधकर्ताओं ने ये समझने के लिए एक एल्गोरिदम विकसित किया है कि मानव मस्तिष्क में न्यूरॉन्स पार्किंसंस रोग और अन्य बीमारियों में कैसे व्यवहार करते हैं. इससे ना केवल शुरुआती चरण में पार्किंसंस रोग का पता लगाना संभव […]

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Research: भारत में तेज़ी से बढ़ा पार्किंसंस रोगियों की संख्या, जानें कैसे करें इसकी पहचान

Shiwani Mishra

  • March 22, 2024 11:26 am Asia/KolkataIST, Updated 8 months ago

नई दिल्ली : टेक्नोलॉजी की मदद से चिकित्सा एक और बड़ी सफलता हासिल कर ली है. भारतीय शोधकर्ताओं ने ये समझने के लिए एक एल्गोरिदम विकसित किया है कि मानव मस्तिष्क में न्यूरॉन्स पार्किंसंस रोग और अन्य बीमारियों में कैसे व्यवहार करते हैं. इससे ना केवल शुरुआती चरण में पार्किंसंस रोग का पता लगाना संभव हो जाता है, बल्कि उपचार में भी आसानी होती है. चलते समय पैरों के साथ नहीं हिल रहें हाथ? ब्रेन की नसों को खराब करने वाली ये  बीमारी है वजह! - parkinson disease starts from gut and kills nerve cells in  theबेंगलुरु में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (NIMHANS) के डॉक्टरों और गुवाहाटी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के शोधकर्ताओं ने ये नया एल्गोरिदम विकसित किया है, जिसे यूनिक ब्रेन नेटवर्क आइडेंटिफिकेशन नंबर (UBNIN) के रूप में पहचाना गया है. इसे स्वस्थ लोगों और पार्किंसंस रोग के रोगियों के मस्तिष्क नेटवर्क को एनकोड करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

इस तरह करें इसकी पहचान

शोधकर्ताओं ने इस परियोजना की गुणवत्ता और परिणाम निर्धारित करने के लिए 180 पार्किंसंस रोग रोगियों और 70 स्वस्थ नियंत्रणों का अध्ययन किया गया है. बता दें कि इन सभी की ब्रेन एमआरआई की गई और उनकी रिपोर्ट का विश्लेषण किया गया, अपने डिज़ाइन में शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क क्षेत्रों को नोड्स के तौर पर दर्शाया, और प्रत्येक नोड के लिए कनेक्शन पैरामीटर भी तय किए गए हैं.लाइलाज बीमारी पार्किंसंस से दुनिया को मिलेगी मुक्ति, कुमाऊं यूनिवर्सिटी के  प्रोफेसर का फॉर्मूला आएगा काम - parkinsons diseases will be cured soon  kumaun university ...

साथ ही जिससे उनका संख्यात्मक प्रतिनिधित्व होता है मतलब यूबीएनआईएन, प्रत्येक व्यक्ति इसे अलग ढंग से समझता है, और इसका उपयोग भविष्य में किसी व्यक्ति में पार्किंसंस रोग विकसित होने की संभावना निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है. हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत की ये खोज आने वाले दिनों में मानसिक बीमारी के विकासात्मक और अन्य बायोमार्करों की पहचान करने में सक्षम हो जाएगी.

देश में पार्किंसंस और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी में दिखी तेज़ीपार्किंसंस रोग मोटर लक्षणों की निगरानी में सुधार के लिए मशीन लर्निंग और  डिजिटल प्रौद्योगिकियों का सह-विकास | एनपीजे डिजिटल मेडिसिन

आईआईटी गुवाहाटी के बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर नवीन गुप्ता ने बताया कि यूबीएनआईएन एक विशेष संख्या है जो नेटवर्क परिप्रेक्ष्य से प्रत्येक मानव मस्तिष्क की अनूठी विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करते है. हालांकि मज़ेदार बात ये है कि हम मूल मस्तिष्क नेटवर्क को बहाल करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के यूबीएनआईएन स्तर का पुनर्निर्माण भी कर सकते हैं. ये यूबीएनआईएन एल्गोरिदम प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क नेटवर्क को प्रभावी ढंग से पहचानने और चिह्नित करने में सक्षम होगा.Parkinson's disease treatment in India : Cost, Hospitals & Doctor

दरअसल NIMHANSA के डॉक्टरों ने कहा है कि पार्किंसंस रोग एक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है. जो कंपकंपी, कठोरता और धीमी गति नैदानिक ​​लक्षण हैं जो उम्र के साथ और अधिक गंभीर हो जाते हैं. इस बात के भी प्रमाण हैं कि लक्षण देखने से पहले ही रोगियों में न्यूरोडीजेनेरेशन शुरू हो जाता है.भारत में पार्किंसंस उपचार (सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों, लागत, उपचार और अधिक जानें) उम्मीद लगाया जा रहा है कि भारत में लगभग 5.80 मिलियन लोग पार्किंसंस रोग से पीड़ित हैं और आने वाले दिनों में ये और भी ज्यादा संख्या बढ़ सकती है.

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