Jaya Ekadashi 2024: इस 20 फरवरी को है जया एकादशी , जानें व्रत की महिमा, पूजा विधि और नियम

नई दिल्ली: सनातन धर्म में बताया गया है कि एकादशी के दिन व्रत और पूजा का अत्यधिक महत्व है,और हिंदू कैलेंडर के मुताबिक माघ मास के शुक्ल पक्ष की जया एकादशी 19 फरवरी को सुबह 8:49 बजे शुरू हो रही है, और इसकी समाप्ति अगले दिन 20 फरवरी को सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर […]

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Jaya Ekadashi 2024: इस 20 फरवरी को है जया एकादशी , जानें व्रत की महिमा, पूजा विधि और नियम

Shiwani Mishra

  • February 18, 2024 2:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 months ago

नई दिल्ली: सनातन धर्म में बताया गया है कि एकादशी के दिन व्रत और पूजा का अत्यधिक महत्व है,और हिंदू कैलेंडर के मुताबिक माघ मास के शुक्ल पक्ष की जया एकादशी 19 फरवरी को सुबह 8:49 बजे शुरू हो रही है, और इसकी समाप्ति अगले दिन 20 फरवरी को सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर होगी. बता दें कि सनातन धर्म में उदयातिथि का महत्व है इसलिए 20 फरवरी मंगलवार को एकादशी व्रत रखा जाएगा.
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जया एकादशी व्रत की महानता

पुराणों में माघ महीना को अत्यंत शुभ बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में स्नान, दान, व्रत का फल अन्य महीनों की तुलना में अधिक होता है. माघ महीना के शुक्ल पक्ष की एकादशी को “जया एकादशी” कहा जाता है. ये एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है और इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को नीच योनि से मुक्ति मिलती है. पदम् पुराण के मुताबिक श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी तिथियों का महत्व समझाते हुए बताया कि जया एकादशी प्राणी के वर्तमान और पिछले जन्म के सभी पापों को दूर करने वाली सर्वोत्तम तिथि है. इतना ही नहीं बता दें कि ब्रह्मह्त्या जैसे जघन्य पाप और पिशाचत्व का भी विनाश करने वाली है. शास्त्रों के मुताबिक इस एकादशी का व्रत करने से पिशाच और भूत-प्रेत की दुनिया में नहीं जाना पड़ता और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पूजा की विधि

बता दें कि एकादशी के दिन व्रती को प्रातः सूर्योदय से पहले स्न्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए, और साधक को इस दिन सात्विक रहकर भगवान विष्णु की प्रतिमा को शंख के जल से ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र का उच्चारण करते हुए स्नान आदि करके वस्त्र,चन्दन,जनेऊ ,गंध,अक्षत, पुष्प, तिल, धूप-दीप, नैवैद्य ,ऋतुफल, पान, और नारियल, आदि अर्पित करके कपूर से आरती जरूर उतारनी चाहिए.

जानें व्रत के नियम

1. व्रत से पहले यानि दशमी तिथि के दिन से तामसिक भोजन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
2. इस दिन तुलसी दल से श्री हरि का पूजन जरूर करें, लेकिन तुलसी दल एक दिन पहले ही तोड़कर रखे.
3. व्रत के दिन भोजन में चावल का सेवन भूल कर भी ना करें .
4. व्रत रखने वाले व्यक्ति को क्रोध और दूसरे की बुराई करने से बचना चाहिए, और किसी के बारे में कुछ भी गलत बोलना और बिलकुल भी नहीं सोचना.
5. व्रत रखने वाले व्यक्ति को नाखून, बाल, दाढ़ी आदि नहीं काटने चाहिए और स्त्रियों को इस दिन बाल बिलकुल भी नहीं धोने चाहिए.

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