नई दिल्ली। अंतरिम बजट में हुए ऐलान के अनुसार, बजट सत्र खत्म होने के एक दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर श्वेत पत्र(White Paper) पेश किया गया। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2004 से 2014 के कार्यकाल में आर्थिक विकास के ठप्प पड़ने, भ्रष्टाचार के आरोपों के […]
नई दिल्ली। अंतरिम बजट में हुए ऐलान के अनुसार, बजट सत्र खत्म होने के एक दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर श्वेत पत्र(White Paper) पेश किया गया। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2004 से 2014 के कार्यकाल में आर्थिक विकास के ठप्प पड़ने, भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ निवेशकों के भरोसे में आने बारे में बताया गया है।
दरअसल, इस श्वेत पत्र के मुताबिक, जब 10 साल पहले 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता में आई, तो उस समय उन्हें अर्थव्यवस्था बेहद नाजुक हालत में मिली। उस समय पब्लिक फाइनेंस काफी बुरी अवस्था में था, आर्थिक मैनेजमेंट का भी बुरा हाल था, वित्तीय अनुशासनहीनता व्याप्त थी और भ्रष्टाचार का बोलबाला था। ऐसे में भारत में निवेशकों का भरोसा डगमगा गया था। इस कारण, मोदी सरकार के सामने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की सबसे बड़ी चुनौती थी। अगले 10 सालों में 2014 से पहले की अवधि की सभी चुनौतियों पर अपने शानदार इकोनॉमिक मैनेजमेंट और गवर्नेंस के माध्यम से मोदी सरकार उसपर पार पाने में सफल रही। यही नहीं सही नीतियों, नीयत और उचित फैसलों की वजह से आज की तारीख में भारत उच्च आर्थिक विकास की राह पर चल रहा है।
इसके अलावा, यूपीए सरकार पर हमला बोलते हुए श्वेत पत्र(White Paper) में कहा गया, यूपीए सरकार को 2004 में बेहतर अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी तब आर्थिक सुधार को गति दिए जाने की दरकार थी, लेकिन अगले 10 वर्ष नॉन-परफॉर्मिंग रहे। यूपीए नेतृत्व 1991 के आर्थिक सुधारों का क्रेडिट लेने में कभी पीछे नहीं रहता है लेकिन 2004 में सत्ता में आने के बाद उसे छोड़ दिया गया। 2010 से लेकर 2014 तक पांच साल की अवधि में महंगाई दर काफी बढ़ गई।
इतना ही नहीं, श्वेत पत्र में ये भी कहा गया है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में बैंकिंग क्राइसिस सामने आया। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार जब सत्ता से हटी तो ग्रॉस एनपीए 7.8 प्रतिशत था। जो कि 2 सितंबर 2013 तक बढ़कर 12.3 प्रतिशत तक पहुंच गया। साथ ही सरकारी बैंकों से दिए जाने वाले लोन में भी राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ा था।
रिपोर्ट में कहा गया कि खराब पॉलिसी प्लानिंग की वजह से कई सामाजिक कल्याण के स्कीमों में आवंटित पैसा खर्च नहीं हुआ। यूपीए सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य पर खर्च भी काफी कम था। वहीं सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, 1.76 लाख करोड़ का 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, कोयला घोटाला और कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले से भारत की छवि को ठेस पहुंची। इतना ही नहीं, 2012 में हुए सबसे बड़ी बिजली कटौती को हमेशा ही याद रखा जाएगा।
बता दें कि श्वेत पत्र(White Paper) के अनुसार, पीएम मोदी के नेतृत्व में जब सरकार ने बागडोर संभाली तो राजनीतिक और पॉलिसी स्थिरता से लैस सरकार ने बेहतर आर्थिक बेहतरी के लिए कठिन फैसले लिए। साथ ही अर्थव्यवस्था में गतिशीलता लाई। यही नहीं, पिछली सरकार के द्वारा छोड़कर गए चुनौतियों का सफलतापूर्क सामना किया गया। इस श्वेत पत्र में भरोसा दिया गया है कि ये अभी अमृतकाल की शुरुआत है। 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का उद्देश्य है।
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