लखनऊ. मॉनसून के दौरान सामान्य से कम बारिश होने कारण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य के 50 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने का निर्णय लिया है. उन्होंने प्रभावित किसानों से अगले साल 31 मार्च तक राजस्व वसूली स्थगित रखने के आदेश दिए हैं.
यूपी विधानसभा शीतकालीन सत्र 30 नवंबर से शुरू हो रहा है. इस शीतकालीन सत्र में विपक्ष के हमलों से बचाव के लिए प्रदेश सरकार इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट में पेश करेगी. सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित बुंदेलखंड के सभी जिलों और मिर्जापुर, सोनभद्र व चंदौली को समाजवादी पेंशन योजना का लाभ पहुंचाने के आदेश भी दिए गए हैं. बुंदेलखंड में राजस्व वसूली स्थगित किए जाने के साथ ही बैंकों से भी कर्ज वसूली रोकने का अनुरोध किया जा चुका है. इस बार बुंदेलखंड के सातों जिलों में सामान्य के 40 फीसदी से भी कम बारिश हुई है.
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने संत रविदास नगर, सोनभद्र, सुलतानपुर, मिर्जापुर बलिया, सिद्वार्थनगर, शाहजहांपुर, बांदा प्रतापगढ, चन्दौली, इटावा, बस्ती, बागपत, जौनपुर, फैजाबाद, गोण्डा, कन्नौज, बाराबंकी, संतकबीरनगर, झांसी, जालौन, गोरखपुर, हाथरस, एटा, इलाहाबाद, गाजियाबाद, फरूखाबाद, मउ, उन्नाव, रामपुर, हमीरपुर, ललितपुर, चित्रकुट, कानपुर नगर, लखनऊ, देवरिया, मैनपुरी, महराजगंज, आगरा, औरेया, पीलीभीत, अमेठी, महोबा, रायबरेली, कुशीनगर, कानपुर देहात, कौशाम्बी, फतेहपुर, अम्बेडकरनगर तथा बलरामपुर जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किए हैं.
प्रवक्ता ने कहा कि सूखाग्रस्त घोषित होने वाले जनपदों में जिलाधिकारियों द्वारा सूखे से निपटने के लिए बनाई गई कार्य योजना के अनुसार कार्रवाई करने के आदेश दे दिए गए हैं.
प्रवक्ता ने बताया कि मौसम विभाग के बारिश के आंकड़ों के परीक्षण करने के बाद यह पाया गया कि पूरे प्रदेश में जून से लेकर 30 सितंबर तक 53.50 फीसदी बारिश हुई है. राज्य के 33 जनपदों में 40 से 60 फीसदी तथा 16 जनपदों में 40 फीसदी से भी कम बारिश हुई है.