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ASI Survey: ज्ञानवापी परिसर में 10 तहखानों का चला पता, 6 तक पहुंची सर्वे टीम

नई दिल्लीः ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के अलावा कई दूसरे तहखाने भी हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम ने इसकी घोषणा की। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार तकनीक का उपयोग करके किए गए एक अध्ययन में परिसर में छह तहखानों की पहचान की गई। यहां एएसआई की टीम भी पहुंची. चार और तहखानों की पुष्टि […]

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ASI Survey
  • January 31, 2024 9:49 am Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्लीः ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के अलावा कई दूसरे तहखाने भी हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम ने इसकी घोषणा की। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार तकनीक का उपयोग करके किए गए एक अध्ययन में परिसर में छह तहखानों की पहचान की गई। यहां एएसआई की टीम भी पहुंची. चार और तहखानों की पुष्टि हो चुकी है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि दक्षिण में तहखानों में हिंदू धर्म से जुड़े प्रतीक पाए गए थे। उत्तर दिशा में एक तहखाना भी है जो दिखाई नहीं दे रहा।

जीपीआर सर्वे की रिपोर्ट ने कहा

जीपीआर सर्वे की रिपोर्ट में जानकारी दी गई कि चबूतरे के नीचे प्लेटफार्म क्षेत्र में तहखानों की छत है। इसका ऊपरी हिस्सा खुला है, मगर नीचे की परत मलबे से भरी हुई है। पाया गया कि इसमें मलबा भरकर इसे बंद किया गया है। मंच के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में कई खोखले या आंशिक रूप से भरे हुए तीन मीटर चौड़े तहखाने हैं। इनमें नौ वर्गमीटर आकार के कमरे भी स्थित हैं, जिनकी दीवारें एक मीटर चौड़ी हैं। दक्षिणी दीवार की ओर खुले स्थान हैं, जिन्हें अब सील कर दिया गया है, क्योंकि जीपीआर सिग्नलों में 1-2 मीटर चौड़े अलग-अलग पैच देखे गए हैं। तहखाने के उत्तर की ओर खुले कार्यात्मक दरवाजे हैं।

पूर्वी हिस्से में 2 मीटर चौड़ाई के 3 से 4 तहखाने मिले हैं। पूर्वी दीवार की मोटाई अलग-अलग है। गलियारे क्षेत्र में मंच के पश्चिम की ओर, 3-4 मीटर की चौड़ाई वाली तहखानों की दो पंक्तियां देखी गई हैं। तहखाने के अंदर छिपे हुए कुएं दो मीटर चौड़ा है। दक्षिण की ओर एक कुएं के अवशेष भी मिले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि तहखाने की दीवारों के जीपीआर स्कैन से छिपे हुए कुएं और मार्गों का भी पता चला है। जीपीआर से पता चला कि दक्षिणी तहखाने का दरवाजा एक दीवार से ढका हुआ है।

स्थापित हुई थी ASI की प्रयोगशाला

ASI ने सर्वे के दौरान सफाई, लेबलिंग, वर्गीकरण, नाजुक खराब वस्तुओं का परीक्षण भी किया था। इसके लिए ज्ञानवापी परिसर में ही एक क्षेत्रीय प्रयोगशाला स्थापित की गई थी। इसमें धातु सहित दूसरी सामग्रियों की जांच में सहायता मिली थी।

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