नई दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक रिपोर्ट में ज्ञानवापी को नागर शैली का मंदिर बताया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर भी इसी शैली में बना है। अयोध्या अयोध्या में रामलला मंदिर पहले नागर शैली से बना था. दरअसल ज्ञानवापी भी भव्य हिंदू मंदिर था, और मंदिर का ढांचा हूबहू अयोध्या में बने राम […]
नई दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक रिपोर्ट में ज्ञानवापी को नागर शैली का मंदिर बताया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर भी इसी शैली में बना है। अयोध्या अयोध्या में रामलला मंदिर पहले नागर शैली से बना था. दरअसल ज्ञानवापी भी भव्य हिंदू मंदिर था, और मंदिर का ढांचा हूबहू अयोध्या में बने राम मंदिर से मिल रहा है. हालांकि प्रवेश द्वार के बाद दो मंडप और गर्भगृह की कल्पना भी की गई है.
साथ ही नागर शैली में ही बने अयोध्या के रामलला के मंदिर में भी प्रवेश के दौरान मंडप और सबसे अंतिम छोर पर गर्भगृह स्थापित किया गया है. ज्ञानवापी में पूर्वी दीवार के आगे भी मंदिर की होने संभावना बताई जा रही है. बता दें कि एएसआई की मुताबिक मंदिर के 4 खंभों से ढांचे तक की परिकल्पना ही बताई है. दरअसल एएसआई ने ज्ञानवापी में स्थित मंदिर का नक्शा नहीं बनाया है, लेकिन जिस भव्य मंदिर स्थापत्य कला की नागर शैली के मंदिर को बताया गया है, उसमें प्रवेश, मंडप और गर्भगृह का भी जिक्र है, और मुख्य मंदिर के आसपास भी कुछ मंदिरों के स्थापित होने की रिपोर्ट की गई है.
बता दें कि 19वीं सदी में ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप ने अपनी किताब में ज्ञानवापी के मंदिर होने का दावा किया , और बनारस इलस्ट्रेटेड पुस्तक में विश्वेश्वर मंदिर का नक्शा भी प्रकाशित किया गया है. इस किताब में जेम्स प्रिंसेप ने दी जानकारी को सबूतों के साथ पेश करने के लिए लिथोग्राफी तकनीक का इस्तेमाल किया था. साथ ही एएसआई की रिपोर्ट अनुसार तैयार मंदिर जेम्स प्रिंसेप के नक्शे से काफी अलग है. हालांकि जेम्स प्रिंसेप के नक्शे के हिसाब से 124 फिट का चौकोर मंदिर था और इसके चारों कोनों पर मंडप था, इसके बीच में एक विशाल-सा गर्भगृह, जिसे नक्शे में मंडपम बताया गया है. दरअसल एएसआई ने भी गर्भगृह और मंडपम वाले हिस्से को उकेरा, तो यहां तीन और रहस्य सामने आए हैं.
अब हिंदू पक्ष इन रहस्यों से पर्दा उठाने की मांग कर रहा है. एएसआई ने बताया है कि सील वजूखाने वादी महिलाओं मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी और सीता साहू का कहना है कि पूर्वी दीवार क्यों बंद है, ये जानना बहुत जरूरी है कि जो कुआं मिला है, उसकी क्या मान्यता है, आखिर वहां क्या है, और इनके साथ ही वजूखाने का एएसआई सर्वे की मांग अदालत में की जाने वाली है. दरअसल कई जगहों पर खोदाई की गई, लेकिन न्यायालय की रोक के चलते इस कार्य को पूरा नहीं किया गया और इसी कारण पूर्वी दीवार, कुआं समेत अन्य स्थानों का विवरण देने की बजाय संसाधनों के अभाव का जिक्र किया गया है. इदर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी का कहना है कि हम न्यायालय में खोदाई के द्वारा जांच की भी मांग करेंगे.
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