लखनऊ/पटना: बिहार एक बार फिर से सियासी संकट के दौर से गुजर रहा है. राजनीति में परिवारवाद पर नीतीश के बयान के बाद से राजद और जदयू के बीच बढ़ी तल्खी सामने आ गई है. दिल्ली से लेकर पटना तक जदयू, राजद और बीजेपी की अलग-अलग बैठकें हो रही है. कहा जा रहा है कि […]
लखनऊ/पटना: बिहार एक बार फिर से सियासी संकट के दौर से गुजर रहा है. राजनीति में परिवारवाद पर नीतीश के बयान के बाद से राजद और जदयू के बीच बढ़ी तल्खी सामने आ गई है. दिल्ली से लेकर पटना तक जदयू, राजद और बीजेपी की अलग-अलग बैठकें हो रही है. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़ने का मूड बना चुके हैं और वो NDA में फिर से वापसी कर सकते हैं. इस बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर नीतीश कुमार I.N.D.I.A गठबंधन में रहते तो वे प्रधानमंत्री बन सकते थे.
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक 28 जनवरी को जेडीयू-बीजेपी की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है. बताया जा रहा है कि जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी के साथ आने पर नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे, वहीं बीजेपी खेमे से दो उपमुख्यमंत्री होंगे. सुशील मोदी और रेणू देवी डिप्टी सीएम बनेंगी. उधर, विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की संभावनाओं पर बिहार भाजपा के नेताओं ने समर्थन नहीं किया है. खबरों के मुताबिक़, बिहार में लोकसभा के साथ विधानसभा का चुनाव नहीं कराया जाएगा.
बता दें कि बिहार की सियासत में मची हलचल और नीतीश कुमार के फिर से पाला बदल कर बीजेपी के साथ जाने के कयासों के बीच फिलहाल पार्टी की तरफ से सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं आया है. इस बीच बीते दिन यानी गुरुवार को पटना में मचे सियासी घमासान के बीच बीजेपी आलाकमान ने बिहार भाजपा के नेताओं को बैठक के लिए दिल्ली बुलाया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में अमित शाह और जेपी नड्डा ने बिहार बीजेपी के नेताओं के साथ लगभग पौने दो घंटे तक विचार विमर्श किया.
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