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अयोध्या: जनौरा को क्यों कहा जाता है सीता मैया का मायका, क्या है राजा जनक से संबंध?

लखनऊ: अयोध्या से सटे जनौरा गांव को सीता मैया का मायका क्यों कहा जाता है और राजा जनक से संबंध क्या है तो चलिए इसके पीछे का राज जानते है. आपको बता दें कि राजा जनक अपनी बेटी के घर का पानी तक भी नहीं पीना चाहते थे. इसलिए वह सीता विवाह के बाद जब […]

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Janora village
  • January 22, 2024 12:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

लखनऊ: अयोध्या से सटे जनौरा गांव को सीता मैया का मायका क्यों कहा जाता है और राजा जनक से संबंध क्या है तो चलिए इसके पीछे का राज जानते है. आपको बता दें कि राजा जनक अपनी बेटी के घर का पानी तक भी नहीं पीना चाहते थे. इसलिए वह सीता विवाह के बाद जब पहली बार कलेवा लेकर अयोध्या आए तो खुद की जमीन पर उन्होंने महल तैयार किया और यहीं पर रूके. यही जनौरा गांव आयोध्या की विभिन्न तारीखों का गवाह बना. पहले राम के वनवास, फिर उनके राजतिलक और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को भी अब जनौरा देख रहा है।

सबको यह बात मालूम है कि सीता मैया का मायका जनकपुर में है. वही जनकपुर का कुछ हिस्सा बिहार में स्थित है तो कुछ नेपाल में, लेकिन क्या आपको मालूम है कि सीता मैया का एक मायका अयोध्या में भी है. यह बात अगर नहीं जानते तो आइए हम आपको बता रहे हैं कि कैसे सीता मैया का एक मायका अयोध्या में भी है. अब आप हैरान हो सकते हैं कि अयोध्या में तो उनकी ससुराल है, फिर वहां मायका कैसे? लेकिन वहां ऐसा ही है. दरअसल अयोध्या से सटे जनौरा गांव को राजा जनक की जाग़ीर कहा जाता है. राजा जनक ने अयोध्या पति दशरथ से इस गांव की जमीन खरीदकर बसाया था।

यही पर राजा जनक का महल है और यहां सीता कुंड भी है, वहीं यज्ञ हवन के लिए ब्रह्मकुंड भी है. प्रभु राम के समकालीन महर्षि वाल्मिकी ने अपने रामायण में इस जगह का चर्चा जनकचौरा के नाम से किया है. हालांकि कालांतर में अपभ्रंष के कारण जनकचौरा से जनौरा बन गया. यही नाम अब आज के राजस्व रिकार्ड में भी है. वहीं वाल्मिकी रामायण के अलग अलग प्रसंगों के अनुसार राजा जनक बड़े रुढिवादी और पारंपरिक व्यक्ति थे।

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