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ASER Report: लड़को से ज्यादा लड़किया चाहती हैं पढ़ना, जानें क्या कहती है एएसईआर की रिपोर्ट

नई दिल्ली: देश में हर साल शिक्षा को लेकर रिपोर्ट जारी की जाती है। हर साल इसमें नए-नए आंकड़े सामने आते हैं। वहीं इस बार के आंकडे से देश में लड़कियों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस बार वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में कक्षा 12वीं के बाद […]

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ASER Report: लड़को से ज्यादा लड़किया चाहती हैं पढ़ना, जानें क्या कहती है एएसईआर की रिपोर्ट
  • January 19, 2024 6:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली: देश में हर साल शिक्षा को लेकर रिपोर्ट जारी की जाती है। हर साल इसमें नए-नए आंकड़े सामने आते हैं। वहीं इस बार के आंकडे से देश में लड़कियों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस बार वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में कक्षा 12वीं के बाद लड़कों से ज्यादा लड़कियां पढ़ना चाहती है। चलिए अब जानते हैं कि इसके पीछे की वजह के बारे में एएसईआर द्वारा जारी की गई रिपोर्ट क्या कहती है।

लड़कियां चाहती हैं पढ़ना

बता दें कि बुधवार को हुई जारी वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट में। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर करीब 26 राज्यों के 28 जिलों में सर्वे किया गया था। जिसमें कुल 34,745 बच्चे शामिल थे। एएसईआर की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में क्लास 12th के बाद पढ़ाई जारी रखने के मामले में लड़कों के मुकाबले लड़कियां की परसेंटेज ज्यादा है।

वहीं आंकड़ों के मुताबिक क्लास 12th तक पढ़ाई रखने के मामले में 19.4% लड़के हैं। तो दूसरी तरफ 16.7% लड़कियां है। गौरतलब है कि अंडर ग्रेजुएट लेवल पर 44.3% लड़कियां है तो 41.2% लड़के हैं। इसके साथ ही पीजी लेवल पर 21.5 लड़कियां है तो 18.02% लड़के हैं। वहीं आंकड़ों की माने तो, यह साफ हैं कि लड़कियों में पढ़ाई जारी रखने की इच्छा लड़कों से ज्यादा है।

यह है वजह

जानकारी दे दें कि बियांड बेसिक्स नाम से छपी इस वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट में 12वीं के बाद पढ़ाई जारी रखने के मामले में लड़कों से लड़कियां आगे पाई गईं हैं। इस सर्वे में दो प्रमुख वजह बताई गई है। पहली वजह तो यह है कि पढ़ाई लिखाई करने के बाद लड़कियों को एक अच्छी ग्रहणी बनने में मदद होगी और दूसरी वजह यह है की लड़कियां इसलिए भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है ताकि वह घर के कामों से दूर रह सके। यही कारण है कि लड़कियां चाहती है कि वह जितना ज्यादा पढ़ सके उतना उतना पढ़ने को मिले।

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