नई दिल्लीः बिलकिस बनों केस के आरोपियों को सुप्रीम झटका लगा है। दरअसल अदालत ने उस याचिका खारिज कर दिया है, जिसमें दोषियों ने सरेंडर करने के लिए कोर्ट से समय बढ़ाने की मांग की थी। बता दें कि दोषियों का आत्मसमर्पण करने की समय-सीमा 21 जनवरी को समाप्त हो रहा है। दो जजों की […]
नई दिल्लीः बिलकिस बनों केस के आरोपियों को सुप्रीम झटका लगा है। दरअसल अदालत ने उस याचिका खारिज कर दिया है, जिसमें दोषियों ने सरेंडर करने के लिए कोर्ट से समय बढ़ाने की मांग की थी। बता दें कि दोषियों का आत्मसमर्पण करने की समय-सीमा 21 जनवरी को समाप्त हो रहा है।
न्यायाधीश बीवी नागरत्ना और न्यायामुर्ती उज्जल भुइया की पीठ ने कहा कि दोषियों ने जो कारण बताए है वह कारगर नहीं है। पीठ ने आगे कहा कि हमने सभी की दलीलें सुनी। आवेदकों द्वारा आत्मसमर्पण की समयसीमा को आगे बढ़ाने और वापस जेल मे रिपोर्ट करने के लिए दिए गए कारणों में कोई दम नहीं है।
बता दें कि साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। गुजरात सरकार ने इस हाईप्रोफाइल मामले के ग्यारह दोषियों को सजा में रियायत दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आठ जनवरी को इसे रद्द कर दिया था। इसके अलावा, अदालत ने गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि उसकी एक आरोपी के साथ मिलिभगत थी। दोषियों को 2022 के स्वतंत्रता दिवस पर समय से पहले रिहा कर दिया गया था। जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने दो हफ्ते के भीतर दोषियों को फिर से जेल में डालने का आदेश दिया था।
पीठ ने कहा था कि सरेंडर करने के और जेल भेजने के लिए समयसीमा बढ़ाने के लिए आवेदन दायर के लिए आवेदन दायर किए गए थे। पीठ का गठन नए सिरे से किए जाना है। रजिस्ट्री को पीठ के पुनर्गठन के लिए चीफ जस्टिस से आज्ञा लेने की जरुरत है क्योंकि समय रविवार को खत्म हो रहा है।
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