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कभी लालटेन, कभी कमल… जुगाड़ लगाकर CM की कुर्सी पर चिपके हैं नीतीश- प्रशांत किशोर

बेगूसराय/पटना: बिहार में जुन सुराज यात्रा पर निकले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर लगातार सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ मुखर हैं. इस बीच बेगूसराय पहुंचे प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से अलग होने की वजह बताई है. उन्होंने कहा है कि 2014 और 2023 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क है. आज नीतीश कुमार […]

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(प्रशांत किशोर)
  • January 17, 2024 5:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 12 months ago

बेगूसराय/पटना: बिहार में जुन सुराज यात्रा पर निकले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर लगातार सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ मुखर हैं. इस बीच बेगूसराय पहुंचे प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से अलग होने की वजह बताई है. उन्होंने कहा है कि 2014 और 2023 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क है. आज नीतीश कुमार चुनाव हारकर भी कोई न कोई जुगाड़ लगा कभी लालटेन तो कभी कमल पकड़कर कुर्सी से चिपके हुए हैं. 2015 में मैंने जिस नीतीश कुमार के लिए प्रचार किया, उन्हें जिताने में कंधा लगाया और मदद भी की. क्योंकि उस वक्त मैंने उन्हीं नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2005 से लेकर 2012-13 में बिहार में विकास होते हुए देखा था.

2015 से 2023 में बिगड़ता दिखा वही बिहार

प्रशांत किशोर ने कहा कि हमसे जब 2014 में मदद के लिए दिल्ली में मिलने के लिए नीतीश कुमार आए, तो उनको किसी ने बताया था कि नरेंद्र मोदी का अभियान चलाने वाला बिहार का ही कोई लड़का है. जब नीतीश बाबू हमने मिलने आए, तब मैंने उनसे कहा कि आप बिहार ठीक चला रहे थे, बिहार में सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई थी तो आपने मांझी जी को मुख्यमंत्री बनाकर अलग क्यों हट गए. तो उन्होंने बताया कि हम चुनाव हार गए, उस वक्त मैंने उनसे वादा किया कि आप फिर मुख्यमंत्री बनिए, बिहार को जैसे बेहतर बना रहे थे बनाइए और चुनाव के नजरिए से जो मदद होगी वो हम करेंगे.

इसलिए उनकी मदद की, चुनाव जिताया भी. सात निश्चय की परिकल्पना भी की, बिहार विकास मिशन भी बनाया. सरकार में हम शामिल नहीं थे, लेकिन स्ट्रेटेजी-सुझाव के तौर पर जो कुछ भी किया जा सकता था वो किया. लेकिन काम करने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार की थी. ऐसे में 2005 से लेकर 2012 तक जो बिहार सुधरता हुआ दिखा, वही बिहार 2015 से 2023 के दौर में बिगड़ता हुआ दिखा.

अब जुगाड़ लगा कुर्सी से चिपके हुए हैं नीतीश

प्रशांत ने आगे कहा कि नेता के तौर पर जिस नीतीश कुमार की हमने मदद की थी, वो चुनाव नहीं हारे थे. लोकसभा में उनकी पार्टी को झटका लगा था, 2 एमपी जीते थे, लेकिन विधानसभा में उनके 117 विधायक जीते थे. उनको जनता ने बहुमत दिया हुआ था. आज नीतीश कुमार चुनाव हार गए हैं. 243 विधानसभा की सीटों में उनके पास 42 विधायक हैं. उस वक्त वे चुनाव नहीं हारे थे, लेकिन राजनीतिक मर्यादा के नाते पद छोड़ दिया था और मांझी जी को सीएम बनाया था. आज वे चुनाव हार गए हैं लेकिन कोई न कोई जुगाड़ लगाकर कभी लालटेन पकड़कर तो कभी कमल पकड़कर कुर्सी से चिपके हुए हैं. हम उस नीतीश कुमार का विरोध कर रहे हैं.

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