Munawwar Rana: मुनव्वर राणा के निधन पर शोक की लहर, कवि से लेकर राजनेताओं तक ने किया याद

लखनऊ। मशहूर शायर मुनव्वर राणा इस दुनिया में अब नहीं रहे, 71 साल की उम्र में रविवार को लखनऊ में निधन हो गया. बीमार होने के चलते वह काफी दिनों से एसजीपीजीआई में भर्ती थे. 26 नवंबर 1952 को रायबरेली में जन्म लेने वाले मुनव्वर राणा उर्दू साहित्य के बड़े नाम हैं. 2014 में मुनव्वर […]

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Munawwar Rana: मुनव्वर राणा के निधन पर शोक की लहर, कवि से लेकर राजनेताओं तक ने किया याद

Arpit Shukla

  • January 15, 2024 10:00 am Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

लखनऊ। मशहूर शायर मुनव्वर राणा इस दुनिया में अब नहीं रहे, 71 साल की उम्र में रविवार को लखनऊ में निधन हो गया. बीमार होने के चलते वह काफी दिनों से एसजीपीजीआई में भर्ती थे. 26 नवंबर 1952 को रायबरेली में जन्म लेने वाले मुनव्वर राणा उर्दू साहित्य के बड़े नाम हैं. 2014 में मुनव्वर राणा को साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. बीते दिनों किडनी संबंधित समस्याएं होने के बाद उन्हें लखनऊ के एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था, जहां आईसीयू वार्ड में वह भर्ती थे. रविवार देर रात साढ़े ग्यारह बजे के करीब उन्होंने आखिरी सांस ली।

अखिलेश ने जताया शोक

मुनव्वर राणा के निधन पर यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने शोक जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- तो अब इस गांव से रिश्ता हमारा खत्म होता है, फिर आंखें खोल ली जाएं कि सपना खत्म होता है। उन्होंने आगे लिखा कि देश के जानेमाने शायर मुन्नवर राणा जी का निधन अत्यंत हृदय विदारक। अखिलेश ने लिखा, दिवंगत आत्मा की शांति की कामना, भावभीनी श्रद्धांजलि।

इमरान प्रतापगढ़ी ने किया याद

कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने भी मुनव्वर राणा के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि जिस्म पर मिट्टी मलेंगे पाक हो जाएंगे हम एै ज़मीं एक दिन तेरी ख़ूराक हो जाएंगे हम। उन्होंने लिखा, अलविदा मुनव्वर साहब, आपका जाना अदबी दुनिया का बड़ा नुकसान है। मैं भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हूं और इस खबर ने अंदर तक दुखी कर दिया। इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन्।

कुमार विश्वास ने जताया शोक

कवि कुमार विश्वास ने भी एक्स पर श्रद्धांजलि देते हुए पोस्ट किया है। कुमार विश्वास ने अपने पोस्ट में लिखा कि मुनव्वर राना नहीं रहे। उनके जीवन के आख़िरी दशक में उनसे गम्भीर मतभेद रहे। लेकिन कवि-सम्मेलनीय यात्रा के शुरुआती दौर में मंचों पर उनके साथ काफ़ी समय बीता। उन तमाम यादों के साथ उनको श्रद्धांजलि सहित ईश्वर से प्रार्थना कि उनके परिजनों को शक्ति प्रदान करें।

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