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Aditya-L1: इसरो ने रचा इतिहास, सूरज के एल-1 प्वाइंट पर पहुंचा आदित्य स्पेसक्राफ्ट

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज इतिहास रच दिया है. इसरो का आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट 126 दिनों में 15 लाख किलोमीटर का सफर तय करने के बाद लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) तक पहुंच गया है. इबता दें कि यह मिशन 5 साल का होगा. जानें क्या है लैग्रेंज पॉइंट-1? लैग्रेंज पॉइंट-1 (L1) अंतरिक्ष […]

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Aditya-L1: इसरो ने रचा इतिहास, सूरज के एल-1 प्वाइंट पर पहुंचा आदित्य स्पेसक्राफ्ट
  • January 6, 2024 4:30 pm Asia/KolkataIST, Updated 12 months ago

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज इतिहास रच दिया है. इसरो का आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट 126 दिनों में 15 लाख किलोमीटर का सफर तय करने के बाद लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) तक पहुंच गया है. इबता दें कि यह मिशन 5 साल का होगा.

जानें क्या है लैग्रेंज पॉइंट-1?

लैग्रेंज पॉइंट-1 (L1) अंतरिक्ष में ऐसा स्थान है, जहां पर पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण की शक्तियां संतुलित होती हैं. हालांकि, एल-1 तक पहुंचना और स्पेसक्राफ्ट को इस आर्बिट में बनाए रखना काफी कठिन टास्क है. L1 का ऑर्बिटल पीरियड लगभग 177.86 दिन है.

एल-1 प्वाइंट पर ही क्यों?

बता दें कि एल-1 प्वाइंट के आसपास के क्षेत्र को हेलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बीच उपस्थित पांच स्थानों में से एक है. जहां दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के बीच साम्यता है. मोटे तौर पर ये वे स्थान हैं, जहां दोनों पिंडों की गुरुत्व शक्ति एक दूसरे के प्रति संतुलन बनाती है. पृथ्वी और सूर्य के बीच इन पांच स्थानों पर स्थिरता मिलती है, जिससे यहां उपस्थित वस्तु सूरज या पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती है.

सूर्य के चारों ओर घूमेगा

एल-1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है. यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का केवल 1 फीसदी है. दोनों पिंडों की कुल दूरी 14.96 करोड़ किलोमीटर है. ISRO के एक वैज्ञानिक के मुताबिक हेलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के घूमने के साथ-साथ घूमेगा.

2 सितंबर को हुआ था लॉन्च

गौरतलब है कि आदित्य L1 को 2 सितंबर को सुबह करीब 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया गया था. इसे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के माध्यम से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकेंड के बाद स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की 235 Km x 19500 Km की कक्षा में स्थापित हो गया था.

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