ISRO: इसरो को मिली बड़ी सफलता, फ्यूल सेल तकनीक का हुआ सफल परीक्षण

नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को बड़ी सफलता हाथ लगी है। बता दें इसरो ने शुक्रवार को फ्यूल सेल तकनीक (ईंधन सेल प्रौद्योगिकी) का सफल परीक्षण किया। इसरो के भविष्य के मिशन और डाटा इकट्ठा करने के लिहाज से यह फ्यूल सेल तकनीक बेहद महत्वपूर्ण है। इस तकनीक की सहायता से ईंधन रिचार्ज किया […]

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ISRO: इसरो को मिली बड़ी सफलता, फ्यूल सेल तकनीक का हुआ सफल परीक्षण

Tuba Khan

  • January 5, 2024 1:43 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को बड़ी सफलता हाथ लगी है। बता दें इसरो ने शुक्रवार को फ्यूल सेल तकनीक (ईंधन सेल प्रौद्योगिकी) का सफल परीक्षण किया। इसरो के भविष्य के मिशन और डाटा इकट्ठा करने के लिहाज से यह फ्यूल सेल तकनीक बेहद महत्वपूर्ण है। इस तकनीक की सहायता से ईंधन रिचार्ज किया जा सकता है और इससे कोई उत्सर्जन भी नहीं होता। अंतरिक्ष में ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने और पीने के पानी के लिए यह तकनीक सबसे आदर्श है।

हाइड्रोजन-ऑक्सीजन की सहायता से बनाई ऊर्जा

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने शुक्रवार को अंतरिक्ष में 100 वॉट श्रेणी के पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेंब्रेन फ्यूल सेल पर आधारित पावर सिस्टम (FCPS) का सफल परीक्षण किया। ISRO ने बीते 1 जनवरी को पीएसएलवी-सी58 मिशन के साथ POEM को लॉन्च किया था। अब अंतरिक्ष में इसका परीक्षण किया गया, जो सफल हुआ। इस परीक्षण के समय हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैस की सहायता से हाई प्रेशर वेसल में 180 वॉट ऊर्जा उत्पन्न की गई। इसरो ने जानकारी दी कि फ्यूल सेल तकनीक की सहायता से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैस से ऊर्जा उत्पन्न की गई। साथ ही इससे पीने का पानी मिला और कोई उत्सर्जन भी देखने को नहीं मिला

इन मिशन में अहम

इस परीक्षण का उद्देश्य अंतरिक्ष में तकनीक का परीक्षण करना, डाटा इकट्ठा करना और इस डाटा की सहायता से भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के डिजाइन में फ्यूल सेल तकनीक को लेकर महत्वपूर्ण बदलाव करना है। फ्यूल सेल तकनीक एक इलेक्ट्रिक जेनरेटर है, जो इलेक्ट्रोकेमिकल सिद्धांत पर कार्य करता है। खासकर गगनयान मिशन में जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में रहकर कई दिनों तक परीक्षण करेंगे तो उस स्थिति में फ्यूल सेल तकनीक की सहायता से ही इलेक्ट्रिक पावर, पीने का पानी और ऊर्जा पैदा हो सकेगी।

बता दें फ्यूल सेल तकनीक के लाभ को देखते हुए ही अब वाहनों में भी बैट्रीज की जगह इसी तकनीक का इस्तेमाल करने पर सोचा जा रहा है. इससे ना सिर्फ पारंपरिक इंजनों को जल्द रिचार्ज किया जा सकेगा, साथ ही इससे वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर भी बहुत हद तक काबू रहेगा।

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