नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट उस ट्रांसजेंडर शिक्षिका की याचिका पर सुनवाई करने के लिए दो जनवरी को सहमत हो गया, जिसकी सेवा उत्तर प्रदेश और गुजरात के अगल-अलग निजी स्कूलों ने उसकी लैंगिक पहचान के बाद समाप्त कर दी थी. भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति जे बी परदीवला […]
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट उस ट्रांसजेंडर शिक्षिका की याचिका पर सुनवाई करने के लिए दो जनवरी को सहमत हो गया, जिसकी सेवा उत्तर प्रदेश और गुजरात के अगल-अलग निजी स्कूलों ने उसकी लैंगिक पहचान के बाद समाप्त कर दी थी. भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति जे बी परदीवला की पीठ ने ट्रांसजेंडर महिला की याचिका पर उत्तर प्रदेश और गुजरात सरकारों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि हम देखेंगे कि हम इस मामले में क्या कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के खीटी स्थित निजी स्कूल के अध्यक्ष और गुजरात के जामनगर स्थित एक अन्य स्कूल के प्रमुख से भी जवाब मांगा है. इस संबंध में पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत यह है कि उसकी लैंगिक पहचान के बाद गुजरात और उत्तर प्रदेश के स्कूलों में उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई. याचिकाकर्ता का कहना है कि दो अलग-अलग उच्च न्यायालयों में अपनी शिकायत के लिए वह नहीं जा सकती. इस पीठ ने 4 सप्ताह बाद याचिका पर सुनवाई करेगी।
ट्रांसजेंडर महिला की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कहा कि यूपी के एक स्कूल की तरफ से उनकी मुवक्किल को नियुक्ति पत्र दिया गया था और हटाए जाने से पहले 6 दिन तक उन्होंने सेवा भी दी थी. इस मामले में वकील ने कहा कि गुजरात के स्कूल की तरफ से भी नियुक्ति पत्र दिया गया, लेकिन मुवक्किल की लैंगिक पहचान के बाद उन्हें कार्य शुरू ही नहीं करने दिया गया. वहीं याचिकाकर्ता ने अपने मौलिक अधिकारों की बहाली की मांग की है।
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