नई दिल्ली: कैंसर के बेहतर से बेहतर इलाज के लिए कई सालों से पूरी दुनिया में तरह-तरह के रिसर्च चल रहे हैं। वहीं अब हाल ही में इन रिसर्च के जरिए कैंसर के क्षेत्र में साइंटिस्टों को सफलता मिली है। हाल ही में ‘थेरानोस्टिक्स’ नाम का ट्रीटमेंट एक चर्चा का विषय बना हुआ है। इस […]
नई दिल्ली: कैंसर के बेहतर से बेहतर इलाज के लिए कई सालों से पूरी दुनिया में तरह-तरह के रिसर्च चल रहे हैं। वहीं अब हाल ही में इन रिसर्च के जरिए कैंसर के क्षेत्र में साइंटिस्टों को सफलता मिली है। हाल ही में ‘थेरानोस्टिक्स’ नाम का ट्रीटमेंट एक चर्चा का विषय बना हुआ है। इस ट्रीटमेंट के जरिए कैंसर के ट्यूमर की पहचान करके(Cancer Treatment) रेडियोएक्टिव दवा का इस्तेमाल किया जाता है।
बता दें कि इसी विषय में दिल्ली का एम्स हॉस्पिटल 15 सालों से रिसर्च कर रहा है। ताकि कैंसर के मरीजों के इलाज का तरीका बेहतर से बेहतर किया जा सके और मरीजों की उम्र बढ़े। वहीं हॉस्पिटल का दावा है कि दो सालों में मरीजों की जिंदगी की गुणवत्ता बढ़ी है।
गौरतलब है कि न्यूक्लियर मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और हेड डॉ. सीएस बाल ने जानकारी दी कि इस ट्रीटमेंट में कैंसर वाले मरीज को टारगेट करके हटाया जाएगा। हालंकि हेल्दी टिश्यूज को इससे कुछ इफेक्ट नहीं होगा। बता दें कि इसमें रेडिएशन का तरीका अलग है। वहीं इस थेरेपी का इस्तेमाल उन मरीजों पर किया जाता है जिनके पास ट्रेडिशनल कैंसर ट्रीटमेंट विफल होने का कोई कारण नहीं बचता है।
यह रेडियोन्यूक्लाइड या रेडियोआइसोटोप के साथ लेबल किए गए मॉलेक्यूल्स के कॉन्सेप्ट का इलाज किया जाता है। इसमें इंटरनल रेडिएशन और कीमोथेरेपी की सेलेक्टिविटी की कंबाइंड प्रोपर्टीज होती है। बता दें कि रेडिएशन, सर्जरी और कीमोथेरेपी जैसे पुरानी कैंसर के इलाज का यह पहला तरीका है। वहीं कैंसर अगर दूसरे अंगों में फैल गया है(Cancer Treatment) यह दवा उसे भी कंट्रोल करती है।
इस थेरेपी की मदद से कैसट्रेशन-इम्यून प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जाता है। रेडियोआयोडिन-रेफ्रेक्ट्री थायरॉइड कैंसर, ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर, न्यूरोएंड्रोकाइन ट्यूमर और मेडुलरी थायराइड कैंसर में भी इसके पॉजिटिव परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
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