नई दिल्ली: सुबह उठने से लेकर रात के सोने(KHABREN ZARA HATKE) तक हमारी जिंदगी की छोटी-बड़ी चीजों में विज्ञान शुमार रहता है। वो बात अलग है कि हमें इन चीज़ों की आदत पड़ चुकी है, तो हम इसे अपनी लाइफ का हिस्सा मान चुके हैं। वहीं आपने ऐसा सुना होगा कि बर्फीले इलाकों में रहने […]
नई दिल्ली: सुबह उठने से लेकर रात के सोने(KHABREN ZARA HATKE) तक हमारी जिंदगी की छोटी-बड़ी चीजों में विज्ञान शुमार रहता है। वो बात अलग है कि हमें इन चीज़ों की आदत पड़ चुकी है, तो हम इसे अपनी लाइफ का हिस्सा मान चुके हैं। वहीं आपने ऐसा सुना होगा कि बर्फीले इलाकों में रहने वाले लोग ठंड से बचने के लिए इग्लू यानि की बर्फ से बने हुए घरों में रहने लगते हैं। कभी तो आपने भी ऐसा सोचा ही होगा कि जब बर्फ के अंदर वो रहते होंगे, तो भला उन्हें ठंड क्यों नहीं लगती? तो चलिए अब जानते हैं इसकी वैज्ञानिक वजह।
वहीं इग्लू के अंदर ठंड क्यों नहीं लगती? तो इसकी(KHABREN ZARA HATKE) वजह ये है कि इग्लू कॉम्प्रेस्ड स्नो से बना होता है, जिसे ब्लॉक्स में बनाकर डोम जैसी आकृति दी जाती है। क्योंकि जमा हुआ बर्फ एक अच्छा इंसुलेटर है और वो बिजली के प्रवाह को रोकता है। बता दें कि स्नो में 95 फीसदी हवा फंसी हुई होती है और इसके क्रिस्टल्स सर्कुलेशन नहीं कर सकते हैं। ऐसे में मोमबत्ती की भी गर्मी या फिर शरीर की गर्मी अंदर ही कैद हो जाती है और गर्माहट मिलती है।
अगर आपको ऐसा लगता हैं कि माइनस 40 डिग्री के तापमान में बना इग्लू 11-12 डिग्री का टेम्परेचर दे सकता है तो ये बिल्कुल गलत है। बता दें कि ये सिर्फ माइनस 40 के तापमान को शून्य पर ला देता है, दरअसल इसके अंदर ठंडी हवा नहीं जाती है। वहीं सामान्य तौर पर माइनस 40 के तापमान में आपके नाजुक अंग जैसे आंख, नाक, कान जवाब देने लगते हैं लेकिन 0 डिग्री पर वो बच जाते हैं।
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