कोरोना के नए वैरिएंट जे.एन.1 के संक्रमण में वृद्धि, कोरोना नवंबर-दिसंबर में अधिक क्यों बढ़ता हैं?

नई दिल्ली: दिसंबर 2019 में चीन से शुरू हुआ कोरोना का संक्रमण चार साल बीत जाने के बाद अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच अब कोविड-19 का नया वैरिएंट दुनियाभर में फैल चुका हैं। ओमिक्रॉन के इस सबसे खतरनाक सब-वैरिएंट का नाम जेएन.1 हैं। कोरोना वायरस के कारण वैश्विक स्तर […]

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कोरोना के नए वैरिएंट जे.एन.1 के संक्रमण में वृद्धि, कोरोना नवंबर-दिसंबर में अधिक क्यों बढ़ता हैं?

Vaibhav Mishra

  • December 26, 2023 12:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली: दिसंबर 2019 में चीन से शुरू हुआ कोरोना का संक्रमण चार साल बीत जाने के बाद अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच अब कोविड-19 का नया वैरिएंट दुनियाभर में फैल चुका हैं। ओमिक्रॉन के इस सबसे खतरनाक सब-वैरिएंट का नाम जेएन.1 हैं। कोरोना वायरस के कारण वैश्विक स्तर पर इसके सक्रंमण का खतरा लगातार चौथे साल भी बढ़ता जा रहा हैं.

हालांकि इन मामलों के लिए ओमिक्रॉन के म्यूटेटेड JN.1 सब-वैरिएंट के बढ़ते मामलों को एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। एक महीने में इस वैरिएंट के कारण चीन, सिंगापुर, भारत सहित कई अन्य देशों में कोरोना के एक्टिव मामलों में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। इस वैरिएंट की सक्रंमकता काफी अधिक बताई जा रही हैं ये ओमिक्रॉन के अन्य वैरिएंट्स की तरह यह भी शरीर में वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को आसानी से कम कर देता हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने संक्रमण को बढ़ता देख इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रुप में बांटा हुआ हैं।

एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है कोरोना

साल 2023 में कोरोना की रफ्तार में काफी नियंत्रण दिखाई दिया। वैश्विक स्तर पर कोरोना के संक्रमण के मामलों में कमी हुई। ऐसे में WHO ने कोरोना को ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी’ की सूची से बाहर कर दिया था। साल के खत्म होते-होते फिर एक बार वायरस ने चिंता को बढ़ा दिया है। महामारी को देखते हुए यह सवाल आते हैं कि ये वायरस गर्मी बढ़ते ही कम होने लगता है और सर्दियों में नया रूप धारण कर लेता है।

दिसंबर में कोरोना के बढ़ते मामले

2019 में चीन में सबसे पहले सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमण का पहला मामला सभी के सामने आया था। फरवरी-मार्च तक विश्व स्तर पर संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई। फिर उसके बाद 2020 में परिवर्तन हुआ जिसके बाद बीटा, गामा और डेल्टा वैरिएंट के कारण संक्रमण की रफ्तार में अधिक वृद्धि हुई। 2020 के बाद फिर 2023 एक साल में कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट देखा गया। जो अधिक रोगकारक नहीं था। 2022 के दिसंबर में ओमिक्रॉन सामने आया और बीए.2 और बीए.5 जैसे सब-वैरिएंट दिखाई दिए। साल 2023 के दिसंबर में भी यही क्रम जारी है, अब नया सब-वैरिएंट JN.1 सामने आया है।

कोरोना का सर्दियों से क्या संबंध हैं

ऑस्ट्रेलिया स्थित विक्टोरिया यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार यह समझा गया हैं कि सर्दियों का मौसम कोरोना वायरस के लिए एक निश्चित समय माना गया हैं। अध्ययनकर्ताओं ने यह पाया कि यह वायरस कम तापमान, कम धूप वाले वातावरण में अधिक तक प्रभावित रहता हैं। जिस कारण ये वायरस सर्दियों के महीनों मे अधिक होता हैं।

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