नई दिल्लीः मौसम बदलने के साथ ही अस्पतालों में फ्लू के मरीजों में भी बढ़ोतरी हो गई है। यह एक सामान्य प्रकार का श्वसन संक्रमण है जो सर्दियों में होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के बाद से वायरस के स्वभाव में बदलाव आया है। लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हुई […]
नई दिल्लीः मौसम बदलने के साथ ही अस्पतालों में फ्लू के मरीजों में भी बढ़ोतरी हो गई है। यह एक सामान्य प्रकार का श्वसन संक्रमण है जो सर्दियों में होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के बाद से वायरस के स्वभाव में बदलाव आया है। लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हुई है। यही वजह है कि अस्पतालों में इस रोग के मरीज बढ़े हैं। अंदेश है कि जनवरी के अंत तक रोगियों की संख्या इसी तरह रहेगी।
एम्स में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने जानकारी दी कि सर्दियों में फ्लू के मामले बढ़ते हैं। इस बार कोरोना का एक नया वैरिएंट भी सामने आया है। इस मौसम में नए वैरिएंट को लेकर लोगों में डर है, लेकिन इससे घबराने की नहीं सतर्क रहने की आवश्यकता है। दोनों के ही लक्षण एक जैसे हैं। इन बीमारियों से हम पहले भी लड़ चुके हैं। ऐसे में यदि फ्लू और कोरोना के मामले बढ़ते हैं तो हम उससे लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
डॉक्टर नीरज ने जानकारी दी कि कोरोना के नए स्वरूप जेएन.1 को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है। देश के कई राज्यों में लोग इससे संक्रमित हो रहे हैं। मरीजों के लक्षण हल्के हैं। वायरस रूप बदलता रहता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इस बार कोरोना दूसरी और तीसरी लहर की तरह बहुत गंभीर नहीं होगा। डॉक्टर और विशेषज्ञ कोरोना को समझ चुके हैं। यदि मामलों को बढ़ते हुए देखते हैं, तो रोकथाम के लिए हमारी निगरानी प्रणाली उपस्थित है। अभी तक जो डाटा सामने आ रहा है, उसके मुताबिक नया वायरस अलग नहीं है। यह भी मरीजों में खांसी, सर्दी, छींकने, बुखार और शरीर में दर्द जैसे समान प्रकार के लक्षण पैदा कर रहा है।