नई दिल्ली: भारत में कई ऐसी मंदिरें हैं, जो देश में बहुत प्रचलित है। कुछ अपनी अनोखी कलाकृति की वजह से, तो कुछ अपनी रहस्यमयी कहानी की वजह से। ऐसा ही एक मंदिर है मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर। इसकी गिनती भारत के रहस्यमयी मंदिरों में होती है। यह देश का […]
नई दिल्ली: भारत में कई ऐसी मंदिरें हैं, जो देश में बहुत प्रचलित है। कुछ अपनी अनोखी कलाकृति की वजह से, तो कुछ अपनी रहस्यमयी कहानी की वजह से। ऐसा ही एक मंदिर है मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर। इसकी गिनती भारत के रहस्यमयी मंदिरों में होती है। यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां चौसठ योगिनी विराजमान हैं। इसकी सबसे खास बात है कि इसी मंदिक के तर्ज पर देश का पहला संसद भवन (India’s First Parliament) निर्मित हुआ था। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में कुछ और रोचक बातें।
64 कमरों वाले इस चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Mandir)को तांत्रिक विश्वविद्यालय कहा जाता था। इतिहारकारों का मानना है कि कच्छप राजा देवपाल ने करीब 700 वर्ष पहले इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर के बीचों-बीच एक पंडप में एक विशालकाय शिवलिंग है। जानकारी हो कि पहले इस मंदिर के हर कमरे में शिवलिंग और देवी योगिनी की प्रतिमा विराजमान थी। लेकिन धीरे-धीरे आक्रमणकर्ताओं ने इन मूर्तियों को या तो खंडित कर दिया या उन्हें चुरा लिया।
इकंतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाने जाना यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी प्रसिद्ध था। मान्यता है कि यह मंदिर भगवान शिव की तंत्र साधना से रक्षित है। इसके साथ ही बता दें कि इस मंदिर में रात में रुकने की अनुमति नहीं है। प्रााचीन काल में इस मंदिर में तंत्र साधना के लिए भगवान शिव के सभी योगनियों को जागृत किया जाता था। यहां मां भगवती योगिनी रूप में घोर नामक राक्षक के वध के लिए अवतरित हुई थीं।
इतिहासकार बताते हैं कि ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने इसी चौसठ योगिनी मंदिर के आधार पर भारत के पहले संसद भवन (India’s First Parliament) का निर्माण करवाया था। हालांकि, संसद भवन के इतिहास की किताबों में इसका जिक्र नहीं किया गया है। लेकिन अगर आप संसद की बनावट को ध्यान से देखेंगे, तो यहां चौसठ योगिनी मंदिर की छाया नजर आएगी।
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