गुवाहाटी/नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा असम को म्यांमार का हिस्सा बताए जाने पर बवाल खड़ा हो गया है. सिब्बल के बयान पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बुरी तरह भड़क गए हैं. उन्होंने कहा है कि जो लोग असम का इतिहास नहीं जानते हैं, उन्हें इस बारे में बात […]
गुवाहाटी/नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा असम को म्यांमार का हिस्सा बताए जाने पर बवाल खड़ा हो गया है. सिब्बल के बयान पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बुरी तरह भड़क गए हैं. उन्होंने कहा है कि जो लोग असम का इतिहास नहीं जानते हैं, उन्हें इस बारे में बात नहीं करनी चाहिए.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जिन्हें राज्य के इतिहास का कोई भी ज्ञान नहीं है, उन्हें इसके बारे में नहीं बोलना चाहिए. असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं रहा है. हां, थोड़े वक्त के लिए कुछ झड़पे हुई थीं और यही राज्य का असम से एकमात्र संबंध है. इसके अलावा मैंने अभी तक कोई ऐसा डेटा नहीं देखा है, जिसमें कहा गया हो कि असम कभी म्यांमार का भाग था.
बता दें कि इससे पहले 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी. इस दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि एक संधि के तहत अंग्रेजों को सौंपे जाने से पहले असम राज्य मूल रूप से म्यांमार का हिस्सा हुआ करता था. सिब्बल ने सुनवाई के दौरान अपने इस दावे को कई बार दोहराया था.
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि आप यदि असम के इतिहास को देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा. इतिहास में यह पता लगाना असंभव है कि कौन कहां से आया. इसके बाद सिब्बल ने कहा कि असम मूल रूप से म्यांमार का हिस्सा हुआ करता था. साल 1824 में जब ब्रिटिशों ने इस क्षेत्र के कुछ भाग पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद एक संधि हुई, जिसके समझौते के तौर पर असम को ब्रिटिशों को सौंप दिया गया.