नई दिल्ली। उत्तराखंड के उत्तराकाशी जिले के सिलक्यारा में एक टनल ढह गई। इस हादसे में सुरंग में 41 श्रमिक फंस गए थे, जो 17 दिनों तक चले रेस्क्यू अभियान के बाद मंगलवार (28 नवंबर) को उससे बाहर आए। भारतीय सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसी तमाम एजेंसियों ने मिलकर संयुक्त बचाव अभियान चलाया, जिसके बाद […]
नई दिल्ली। उत्तराखंड के उत्तराकाशी जिले के सिलक्यारा में एक टनल ढह गई। इस हादसे में सुरंग में 41 श्रमिक फंस गए थे, जो 17 दिनों तक चले रेस्क्यू अभियान के बाद मंगलवार (28 नवंबर) को उससे बाहर आए। भारतीय सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसी तमाम एजेंसियों ने मिलकर संयुक्त बचाव अभियान चलाया, जिसके बाद ये श्रमिक पहाड़ का सीना ‘चीरकर’ सुरंग से बाहर निकले। सभी मजदूर स्वस्थ हैं। सभी मजदूरों के परिवार में जश्न का माहौल है।
रेस्क्यू अभियान के शुरुआती चरण में 14 नवंबर से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग शुरू की गई। इसके लिए ऑगर मशीन का उपयोग किया गया, जिसके जरिए सुरंग खोदकर उसमें 800-900 एमएम की स्टील पाइप को डालना था। हालांकि, मलबे की चपेट में आने से दो मजदूर घायल हो गए। मजदूरों को जिस पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही थी, ठीक उसी पाइप के जरिए उन्हें खाना, पानी और दवाएं भी पहुंचाई जाने लगी थीं।
रेस्क्यू अभियान के शुरुआती दिनों में ज्यादा सफलता नहीं मिल रही थी और ड्रिलिंग मशीन का भी कोई खास फायदा होता नजर नहीं आ रहा था। अंदर फंसे मजदूरों की स्थिति को देखते हुए ‘एनएचआईडीसीएल’ ने दिल्ली से अडवांस्ड ऑगर मशीन मंगाई गई। समय की कमी को देखते हुए इसे एयरलिफ्ट करके यहां पहुंचाया गया। 16 नवंबर को नई ड्रिलिंग मशीन को इंस्टॉल किया गया, लेकिन रात में जाकर इससे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ।
सबसे ज्यादा जोर वर्टिकल ड्रिलिंग पर ही दिया गया था। पहली बार 21 नवंबर को सुरंग में फंसे श्रमिकों की वीडियो सामने आई। इसमें उनको बातचीत करते हुए देखा गया। इसी दिन बाल्कोट इलाके की ओर से भी सुरंग में ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ। फिर इसके अगले दिन 45 मीटर तक हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग हुई और जब 12 मीटर की दूरी ही बची हुई थी उसी समय ऑगर मशीन में खराबी आ गई। ऑगर मशीन के लोहे के कारण आई बाधा को 23 नवंबर को दूर कर लिया और फिर से बचाव अभियान शुरू हुआ।
सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के काम में 27 नवंबर से तेजी आई। दरअसल, सुरंग को मैन्युअली यानी हाथों से खोदने के लिए 12 रैट होल माइनिंग एक्सपर्ट की एक टीम को बुलाया गया। इनका काम आखिरी के 10 से 12 मीटर को खोदना था। मैन्युअल ड्रिलिंग के बाद सुरंग में एक पाइप फिट किया गया। इस तरह से 57 मीटर की दूरी तक पहुंचा जा सका और मजदूरों तक पहुंचने का काम पूरा हुआ।