देहरादून: उत्तराखंड के चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए 8वें दिन सुरंग के ऊपर एक महामिशन शुरू हुआ है. वहीं 4.5 किलोमीटर लंबी सिल्क्यारा से डांडागांव सुरंग में बचावकर्मी संकटग्रस्त लोगों को भोजन की आपूर्ति लगातार कर रहे हैं. 18 नवंबर शाम से मल्टी डाइमेंशनल अप्रोच के […]
देहरादून: उत्तराखंड के चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए 8वें दिन सुरंग के ऊपर एक महामिशन शुरू हुआ है. वहीं 4.5 किलोमीटर लंबी सिल्क्यारा से डांडागांव सुरंग में बचावकर्मी संकटग्रस्त लोगों को भोजन की आपूर्ति लगातार कर रहे हैं. 18 नवंबर शाम से मल्टी डाइमेंशनल अप्रोच के माध्यम से बड़ी संख्या में वर्कफोर्स को तैनात किया गया है. बता दें कि सीमा सड़क संगठन की तरफ से सैंकड़ों की संख्या में मजदूर पहाड़ पर भेजे जा रहे हैं।
आपको बता दें कि बड़ी-बड़ी मशीन पहले से ही पहाड़ को काटकर रास्ता बना रही हैं जहां से सुरंग में उतरने की कोशिश की जाएगी. सुरंग के मुहाने पर सेफ्टी ब्लॉक लगाकर काम कर रहे मजदूरों के लिए इमरजेंसी एस्केप रूट भी तैयार किया जा रहा है. शनिवार से बड़ी संख्या में सीमा सड़क संगठन और दूसरी एजेंसियों की तरफ से लॉजिस्टिक सपोर्ट पहुंचाया जा रहा है।
18 नवंबर को सिलक्यारा पहुंची पीएमओ की टीम ने बचाव अभियान की कमान अपने हाथ में ले ली है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में अधिकारियों के साथ बैठक में बचाव अभियान की समीक्षा की. राज्य में सरकार ने कार्यरत केंद्रीय संस्थानों के लिए वरिष्ठ आइएएस डा. नीरज खैरवाल को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने में हो रही देरी से अब उनके स्वजनों का सब्र टूटने लगा है।
उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए 16 नवंबर को लाई गई अमेरिकन औगर ड्रिलिंग मशीन से 60 मीटर लंबी निकासी सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ था और 18 नवंबर तक करीब 30 मीटर सुरंग तैयार कर ली गई थी, लेकिन इस अभियान को जोरदार झटका तब लगा जब दोपहर के वक्त पहाड़ दरकने की तेज आवाज हुई. जिससे बचाव कार्य टीमों में हड़कंप मच गया और तुरंत बचाव अभियान को रोकना पड़ा।
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